White आज कुण्डलिया दिवस की बधाई तथा
- तीन कुण्डलिया -
1-
कुण्डलिया का भी दिवस, आज हुआ यह ज्ञात।
कैसे कब से मन रहा, बतलाओ यह बात।।
बतलाओ यह बात, शुरू किसने करवाया।
कितना कब विस्तार, अभी तक इसने पाया।।
बाटूँगा मिष्ठान, आज में भर-भर डलिया।
सुंदर यह लघु छंद, मुझे लगता कुण्डलिया।।
2-
कुण्डलिया का है दिवस, अभी हुआ यह ज्ञात।
इससे सुंदर और क्या, हो सकती है बात।।
हो सकती है बात, छंद में मन की सारी।
कुण्डलिया लघु छंद, बात इसकी है न्यारी।।
जैसे सुंदर वाद्य, कृष्ण को लगे मुरलिया।
वैसे मुझे पसंद, छंद लघु है कुण्डलिया।।
3-
मेरा जो प्रिय छंद है, सबको ही है ज्ञात।
कुण्डलिया के नाम से, यही छंद विख्यात।
यही छंद विख्यात, पंक्तियाँ छैः हैं जिसमें।
कह सकते हैं बात, तरीके से हम इसमें।।
कवि गिरधर ने छंद, लिखा है यही घनेरा।
सुंदर लघु आसान, छंद कुण्डलिया मेरा।।
- हरिओम श्रीवास्तव -
©Hariom Shrivastava
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