"White सँवर जाती है जब ये ज़िन्दगी उल्फ़त की राहों में
ज़माना क्यूँ गिने है फिर 'मुहब्बत' को गुनाहों में
वही चेहरा वही ज़ुल्फ़ें वही आँखें वही आरिज़
वही इक शख़्स बसता है हमारी इन निगाहों में
कभी झुमका कभी पायल कभी नथिया कभी बिंदी
कभी देखूँ तिलिस्मी से वो दो तावीज़ बाहों में...!
☺️❣️💫✨❣️☺️
©एक अजनबी
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