"मुहब्बत अदावत बग़ावत अदालत
बस इन के रही दरमियाँ ज़िन्दगी है
फ़साने अलम के तो किरदार ग़मगीं
अज़ाबों की इक दास्ताँ ज़िन्दगी है
सफ़र एक है धूल का धूल में ये
ग़ुबारों का इक कारवाँ ज़िन्दगी है
गुज़रता हूँ यादों के सहरा से जब तो
बिना आग होती धुआँ ज़िन्दगी है..!!
☺️☺️😍😍☺️☺️
©एक अजनबी
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