कुदरत के जैसा जादू तुम, पतझड़ में हो सावन सी तुम
तुम जैसे धरती पर जीवन, जीवन में हो सरिता सी तुम
फूलो तितली के जैसी तुम, कुदरत में जैसे शबनम तुम
तुम सीपी में मोती रखती, मेरी यादों पर मरहम तुम
जोगी में तुम प्यार जगाओ, जोगन का श्रृंगार बनो तुम
तुम पत्थर में सांसे भरती, न कहके भी इकरार करो तुम
जीवनभर संग रह पाएंगे ?, क्या बाते सच हो सकती है ?
मैं छोटे कस्बे का लड़का, वो दिल्ली वाली लड़की है
।। १८।।
¢डा • रामवीर गंगवार
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©Ramveer Gangwar
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