और हाँ,
आज कोई बहाना नहीं,
कपड़े लाएं हैं तेरे लिए मैंने बड़े शौक से,
आज तुम उसे हीं पहनना,
हम भी सजकर आते हैं,
तुम हमसे मत जलना...
दोनों एक सा लगें हमेशा,
अब एक राह पर है चलना...
खिलाते रहेंगे प्यार का पुष्प हमेशा,
चलो साथ में कसम खाते हैं,
अब और न रूठा करो...
त्योहार है, त्योहार को मनाते हैं...
देखो,
रसोई तो आज तुम्हें हीं देखना है,
तुम कुछ नया आजमाना,
रिश्ते अपने प्रेम से भर जाये,
कुछ ऐसा खाना बनाना...
साथ यहां भी रहेगा हमारा,
अब छोड़ो अपना मुंह बनाना,
स्वाद छा जाय खाने में,
इसीलिए थोड़ा तो मुस्कुराना....
देखी हो-
पटाखे भी लाएं हैं तेरे लिए,
आज साथ में जलाते हैं...
चलो अपने रिश्ते को थोड़ा मज़बूत बनाते हैं,
आज थोड़ा तुम मुस्कुराना
थोड़ा हम भी मुस्कुराते हैं...
खुशियों के इस पर्व को
खुशी-खुशी मनाते हैं...
©अपनी कलम से
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