एक प्रेम कहानी ऐसी भी
एक प्रेम कहानी ऐसी भी,
जहाँ न कोई शोर था, न दीवानेपन की बात।
बस खामोशी में कह गए सब कुछ,
दिलों के बीच के अनकहे जज्बात।
न मंदिर की घंटियाँ गूंजी,
न चाँद को गवाह बनाया।
साधारण से दिनों में ही,
इन्होंने इश्क का रंग चढ़ाया।
ना नजरें चुराई उन्होंने,
ना वादों के पुल बांधे।
बस हर कदम साथ चलते रहे,
जीवन को प्रेम से साधे।
कभी किताबों के पन्नों में,
तो कभी चाय की चुस्की में।
उनका इश्क झलकता था,
छोटे-छोटे पल की झलकियों में।
सूरज की पहली किरण संग,
मुस्कान का आदान-प्रदान।
और चाँदनी रातों में,
सपनों का मधुर बयान।
न छत पर चढ़कर पुकारा,
न गुलाबों की कोई कहानी।
बस हाथों की लकीरों में,
सजा ली उन्होंने अपनी जिंदगानी।
एक प्रेम कहानी ऐसी भी,
जो थी न साधारण, न खास।
लेकिन उनकी दुनिया में,
बस इश्क ही था हर सांस।
©Avinash Jha
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