रौंद अतीत भविष्य का हिसाब करते हैं,
ज़ुल्मी अब इंसाफ कि बात करते हैं।
छिनकर प्यासे से पानी का हक़,
मेहरबां मेहरबानी कि बात करते हैं।
कलतक इनके हाथों का अधिकार बनी थी जूतियाँ,
भेदभाव षड्यंत्र कि ख़ूब चली कुरीतियाँ,
कलतक उनके अस्तित्व पर इनका अंकुश बलवान था,
वही अंकुश वाले अब समानता की बात करते हैं।
रविकुमार
रौंद अतीत भविष्य का हिसाब करते हैं,
ज़ुल्मी अब इंसाफ कि बात करते हैं।
छिनकर प्यासे से पानी का हक़,
मेहरबां मेहरबानी कि बात करते हैं।
कलतक इनके हाथों का अधिकार बनी थी जूतियाँ,
भेदभाव षड्यंत्र कि ख़ूब चली कुरीतियाँ,
कलतक उनके अस्तित्व पर इनका अंकुश बलवान था,
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Jaha Mohabbat hota hai
Waha dharam parivartan nhi hota hai
Or jaha dharam parivartan hota hai
mere bhai or jaan waha pyar kvi nhi hota hai
कट्टर हिन्दू भी देख लिया, और कट्टर मुस्लिम भी!
कट्टर भक्त भी देख लिया, और कट्टर चमचे भी!
कट्टर आस्तिक भी देख लिया, और कट्टर नास्तिक भी!
बस अब,
कट्टर इन्सान देखना बाकी है,
और कट्टर इंसानियत देखना बाकी है!!!
-Shivam
ps:-some lines are borrowed
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