Train Track
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चलो सब बैठो ट्रेन में पैसे बंट रहे हैं दिल्ली में खाते हैं चिक्की गजक गाजर का हलुआ वहीं रिश्तेदारी ढूंढो दिल्ली में मोबाइल कलम कागज़ सब जमा दो अपने बैग में जल्दी चलो अब दिल्ली में ©Parul Sharma

#traintrack  चलो सब बैठो ट्रेन में 
पैसे बंट रहे हैं दिल्ली में 
खाते हैं चिक्की गजक 
गाजर का हलुआ वहीं 
रिश्तेदारी ढूंढो दिल्ली में 
मोबाइल कलम कागज़
सब जमा दो अपने बैग में 
जल्दी चलो अब दिल्ली में

©Parul Sharma

#traintrack

21 Love

मस्त मगन में होकर हम बड़ी धूम मचाते हैं, बहुत से लोग जलते हैं हमसे क्योंकि हम बड़ी मौज में रहते हैं, हमारी हरकतें देखकर लोग हमें छोटी लाइन का कहते है। ©Pradeep Kumar

#शायरी  मस्त मगन में होकर हम बड़ी धूम 
मचाते हैं, बहुत से लोग 
जलते हैं हमसे क्योंकि हम बड़ी 
मौज में रहते हैं, हमारी
 हरकतें देखकर लोग हमें छोटी 
लाइन का कहते है।

©Pradeep Kumar

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12 Love

मेरे बिल्कुल पास बैठी थी वह। इतनी कि मैं उसकी आती-जाती सांसों को सुन सकता था। उसकी आँखों में दिखती गंगा को, सागर की तरह देख सकता था। उसने कहा... "लड़के न... बहुत लापरवाह होते हैं।" मैं हँस पड़ा। उसने मेरी लापरवाहियाँ देखी थीं, काॅलेज के तीन सालों में... हवा सर्द हो रही थी। अंधेरा घिरने को था। उसने एक गहरी सांस ली और बोली; "लड़कों की दुनिया और ही होती है, 'सोच'..." मैं फिर से हँस पड़ा। उसे मेरी बातें कभी समझ नहीं आयी थीं। वह कहती गयी। "... उनकी दुनिया में एहसासों का कोई ठौर नहीं होता है। लड़के मोहब्बत नहीं जानते हैं। उनकी दुनिया में भीतर की मोहब्बत मर जाती है।" मैंने चाहा... हँसना लेकिन ख़ामोशियों ने होंठ सिल दिये। सीने में अजीब-सी टीस उठने लगी। उसने मोबाइल देखा और फिर मुझे। वक्त हो चुका था। वह उठी, मुझसे गले लगी, बोली, "कभी कोलकाता आना तुम। मोहब्बत का शहर है..." और मुस्कुराती हुई उस ओर बढ़ गयी, जिस ओर एक ट्रेन उसके इंतजार में खड़ी थी शायद। मैं उसे देखता रहा। जब तक कि वह गलियों में गुम न हो गयी। दिल ने कई दफे चाहा कि उसे आवाज़ दूँ पर गला भर आया था। उसने मेरी लापरवाहियाँ देखीं, मेरा गुस्सा देखा, मेरी जिद, मेरे दुख, मेरी हँसी सब कुछ देखा था पर शायद कभी नहीं देखा कि मेरी दुनिया उसके बिना अधूरी थी। फिर उसने ही कहा था कि 'लड़के मोहब्बत नहीं जानते हैं।' मैंने भी कब उससे मोहब्बत किया था! वैराग्य के शहर में मोहब्बत किसे हो! बस न जाने क्यों भीतर ही भीतर दर्द-सा हो रहा था। कोई ट्रेन उसे कोलकाता, उसके शहर लिए जा रही थी। मेरा बनारस, मेरा पहलू में रात भर कोई माझी गीत गाता रहा। मन था कि ट्रेन की पटरियों के साथ कोलकाता चले जा रहा था... ❤ 'सोच' ©मलंग

#traintrack  मेरे बिल्कुल पास बैठी थी वह। इतनी कि मैं उसकी आती-जाती सांसों को सुन सकता था। उसकी आँखों में दिखती गंगा को, सागर की तरह देख सकता था। 
उसने कहा... "लड़के न... बहुत लापरवाह होते हैं।" 
मैं हँस पड़ा। उसने मेरी लापरवाहियाँ देखी थीं, काॅलेज के तीन सालों में...
हवा सर्द हो रही थी। अंधेरा घिरने को था। उसने एक गहरी सांस ली और बोली; "लड़कों की दुनिया और ही होती है, 'सोच'..." मैं फिर से हँस पड़ा। उसे मेरी बातें कभी समझ नहीं आयी थीं। वह कहती गयी। "... उनकी दुनिया में एहसासों का कोई ठौर नहीं होता है। लड़के मोहब्बत नहीं जानते हैं। उनकी दुनिया में भीतर की मोहब्बत मर जाती है।" 
मैंने चाहा... हँसना लेकिन ख़ामोशियों ने होंठ सिल दिये। सीने में अजीब-सी टीस उठने लगी। उसने मोबाइल देखा और फिर मुझे। वक्त हो चुका था। वह उठी, मुझसे गले लगी, बोली, "कभी कोलकाता आना तुम। मोहब्बत का शहर है..." और मुस्कुराती हुई उस ओर बढ़ गयी, जिस ओर एक ट्रेन उसके इंतजार में खड़ी थी शायद। 
मैं उसे देखता रहा। जब तक कि वह गलियों में गुम न हो गयी। दिल ने कई दफे चाहा कि उसे आवाज़ दूँ पर गला भर आया था। उसने मेरी लापरवाहियाँ देखीं, मेरा गुस्सा देखा, मेरी जिद, मेरे दुख, मेरी हँसी सब कुछ देखा था पर शायद कभी नहीं देखा कि मेरी दुनिया उसके बिना अधूरी थी। फिर उसने ही कहा था कि 'लड़के मोहब्बत नहीं जानते हैं।' 
मैंने भी कब उससे मोहब्बत किया था! वैराग्य के शहर में मोहब्बत किसे हो! बस न जाने क्यों भीतर ही भीतर दर्द-सा हो रहा था। कोई ट्रेन उसे कोलकाता, उसके शहर लिए जा रही थी। मेरा बनारस, मेरा पहलू में रात भर कोई माझी गीत गाता रहा। मन था कि ट्रेन की पटरियों के साथ कोलकाता चले जा रहा था... ❤ 

'सोच'

©मलंग

#traintrack

17 Love

कौन सीखता है किसी की तकलीफों से यहाँ फ़क़त सबको एक हादसा ज़रूरी है जिंदगी में ©Kamal Kant

#शायरी #traintrack #feelings #thought #Broken  कौन सीखता है किसी की तकलीफों से यहाँ
फ़क़त सबको एक हादसा ज़रूरी है जिंदगी में

©Kamal Kant

#traintrack #Shayari #Broken #alone #thought #feelings #alone 'दर्द भरी शायरी'

15 Love

आज फिर स्टेशन जाना हुवा। यादें पुरानी ताजा हो गई ।। देख प्लेटफार्म और बही गाड़ी। सामने आ गए वो मेरे, मेरी कल्पनाओं में।। बैठा सीट पर जैसे ही । महसूस किया उनको,अपने बराबर में ।। यादें पुरानी ताजा हो गई। वो फिरे जी उठे मेरी कल्पनाओं में।। फिर रोक दिया खुदको, वही मैंने । ना आने वापस वो हसी पल और, ना वो हीं।। ©Tarkeshav Sharma

#traintrack  आज फिर स्टेशन जाना हुवा।
यादें पुरानी ताजा हो गई ।।
देख प्लेटफार्म और बही गाड़ी।
सामने आ गए वो मेरे, मेरी कल्पनाओं में।।
बैठा सीट पर जैसे ही ।
महसूस किया उनको,अपने बराबर में ।।
यादें पुरानी ताजा हो गई।
वो फिरे जी उठे मेरी कल्पनाओं में।।
फिर रोक दिया खुदको, वही मैंने ।
ना आने वापस वो हसी पल और, ना वो हीं।।

©Tarkeshav Sharma

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9 Love

यार ये स्टेशन वाली मोहब्ब्त भी बड़ी कमाल की होती है , मुकम्मल करने का सोचे तो कमबख्त स्टेशन आ जाता हैं।।। ©Samiksha Chaturvedi

#traintrack  यार ये स्टेशन वाली मोहब्ब्त भी बड़ी कमाल की होती है ,
मुकम्मल करने का सोचे तो  
कमबख्त स्टेशन आ जाता हैं।।।

©Samiksha Chaturvedi

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17 Love

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