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तन मन में बहती है शब्दों की धारा
ज्ञान तो सब बघार देंगें पर बिठा कर के चाय कोई अपना ही पिलायेगा पकौड़े पकौड़ी खा सब लेंगे प्याज आलू सब्जी कोई अपना ही छिलायेगा मार्केट में पड़े हैं तरह तरह के मंहगे पैकेट बंद पकवान शानदार जिल्द में अपने हाथों के बने तिल के लड्डू गाजर का हलुआ कोई अपना ही खिलायेगा ©Parul Sharma
Parul Sharma
13 Love
Unsplash हमने जिया है हर पल को बरसों सा अब सात जन्मों साथ हो गया है तुझसे ©Parul Sharma
11 Love
White मन पक्का कर फिर मायूसी से डरना क्या मिलता हैं कब कुछ पहले ही प्रयास में ©Parul Sharma
इश्तहार सी जिंदगी इतवार या इख्तियार से नहीं प्रत्याभूति प्रमाण प्रचार प्रहार प्रतिकार से चलती है नफ़ा नुकसान के नतीजे पर है निर्धारित है रिश्ते जो की कुछ उपभोक्ता के लिए ही आरक्षित होती है ©Parul Sharma
15 Love
White तेरी यादों की बदौलत ही चल रही थी साँसे हिचकियों ने आकर खामखां धड़कने बड़ा दी ©Parul Sharma
18 Love
धरती का धैर्य किसान का तप और वृक्षों का संपूर्ण जीवन माँ का प्यार पिता का त्याग तब जाकर सजा थाली में भोजन चाव,आदर व संतुष्टी से ग्रहण करो व्यर्थ न करो इसका एक भी कण ©Parul Sharma
17 Love
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