Parul Sharma

Parul Sharma Lives in Agra, Uttar Pradesh, India

तन मन में बहती है शब्दों की धारा

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ज्ञान तो सब बघार देंगें पर बिठा कर के चाय कोई अपना ही पिलायेगा पकौड़े पकौड़ी खा सब लेंगे प्याज आलू सब्जी कोई अपना ही छिलायेगा मार्केट में पड़े हैं तरह तरह के मंहगे पैकेट बंद पकवान शानदार जिल्द में अपने हाथों के बने तिल के लड्डू गाजर का हलुआ कोई अपना ही खिलायेगा ©Parul Sharma

#GingerTea  ज्ञान तो सब बघार देंगें पर बिठा कर के चाय कोई अपना ही पिलायेगा 
पकौड़े पकौड़ी खा सब लेंगे प्याज आलू सब्जी कोई अपना ही छिलायेगा 
मार्केट में पड़े हैं तरह तरह के मंहगे पैकेट बंद पकवान शानदार जिल्द में 
अपने हाथों के बने तिल के लड्डू गाजर का हलुआ कोई अपना ही खिलायेगा

©Parul Sharma

#GingerTea

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Unsplash हमने जिया है हर पल को बरसों सा  अब सात जन्मों साथ हो गया है तुझसे ©Parul Sharma

#lovelife  Unsplash हमने जिया है हर पल को बरसों सा 
अब सात जन्मों साथ हो गया है तुझसे

©Parul Sharma

#lovelife

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White मन पक्का कर फिर मायूसी से डरना क्या  मिलता हैं कब कुछ पहले ही प्रयास में ©Parul Sharma

#मायूसी #प्रयास #पक्का #Sad_Status  White मन पक्का कर फिर मायूसी से डरना क्या 
मिलता हैं कब कुछ पहले ही प्रयास में

©Parul Sharma

इश्तहार सी जिंदगी इतवार या इख्तियार से ‌नहीं     प्रत्याभूति प्रमाण प्रचार प्रहार प्रतिकार से चलती है  नफ़ा नुकसान के नतीजे पर है निर्धारित है रिश्ते  जो की कुछ उपभोक्ता के लिए ही आरक्षित होती है ©Parul Sharma

#विज्ञापन #Quotes  इश्तहार सी जिंदगी इतवार या इख्तियार से ‌नहीं

    प्रत्याभूति प्रमाण प्रचार प्रहार प्रतिकार से चलती है 

नफ़ा नुकसान के नतीजे पर है निर्धारित है रिश्ते 

जो की कुछ उपभोक्ता के लिए ही आरक्षित होती है

©Parul Sharma

White तेरी यादों की बदौलत ही चल रही थी साँसे हिचकियों ने आकर खामखां धड़कने बड़ा दी ©Parul Sharma

#Sad_Status  White तेरी यादों की बदौलत ही चल रही थी साँसे
हिचकियों ने आकर खामखां धड़कने बड़ा दी

©Parul Sharma

#Sad_Status

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धरती का धैर्य किसान का तप और वृक्षों का संपूर्ण जीवन माँ का प्यार पिता का त्याग  तब जाकर सजा थाली में भोजन  चाव,आदर व संतुष्टी से ग्रहण करो  व्यर्थ न करो इसका एक भी कण ©Parul Sharma

#भोजन  धरती का धैर्य किसान का तप
और वृक्षों का संपूर्ण जीवन
माँ का प्यार पिता का त्याग 
तब जाकर सजा थाली में भोजन 
चाव,आदर व संतुष्टी से ग्रहण करो 
व्यर्थ न करो इसका एक भी कण

©Parul Sharma

#भोजन

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