White जिसके जीवन में आध्यात्म है उसके जीवन का प्रत्येक संबंध प्रेम प्यार से भरपूर है। महत्वपूर्ण है स्वयं का आध्यात्मिक होना और जीवन में आनन्द प्राप्त करना आध्यात्मिक जीवन में प्रेम-प्यार की धारा अविरल बहती है सभी संबंधों में । प्रेम की परिभाषा शब्दों में करना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि प्रेम किसी एक रूप रंग में नहीं होता। किसी शब्दों के मोहताज नहीं होती। निश्छल प्रेम ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई सबसे बहुमूल्य उपहार है । निश्छल प्रेम ही वह फूल है जो मनुष्य के जीवन को खुबसूरत बनाता है । जी हाँ प्रेम ही वह खुशबू है जो मनुष्य के जीवन को खुशियों से भर देता है वास्तव में प्रेम ही संसार की सभी खुशियों का सार है। प्रेम कई प्रकार का होता हैं ।जैसे मां - बाप का अपने बच्चों के प्रति प्रेम, भाई -बहन का प्रेम, पति-पत्नी का प्रेम, दोस्ती का प्रेम, प्रेमी और प्रेमिका का प्रेम, भक्त और भगवान का प्रेम । परंतु प्रेम चाहे किसी भी रूप में हो उसकी तो बस एक ही परिभाषा है समर्पण ।यानि किसी के प्रति सच्चें मन से समर्पित होना,और प्रेम सच्चा हो तो आनंद ही आनंद देता है । 🙏🙏
©sanjay Kumar Mishra
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