sanjay Kumar Mishra

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White प्रेम-तत्त्व को ज्ञानियों ने अमृत की संज्ञा दी है। निस्सन्देह प्रेम तीनों प्रकार से अमृत ही है। यह स्वयं अमर होता है। जिसकी आत्मा में यह आविर्भूत होता है, उसे अमर बना देता है। इसकी अनुभूति और इसका रस अमृत के समान अक्षय आनंद देने वाला होता है। प्रेम अमृत अर्थात् अमर होता है। यह तत्त्व न तो कभी मरता है, न नष्ट होता है और न इसमें परिवर्तन का विकार उत्पन्न होता है। एक बार उत्पन्न होकर यह सदा-सर्वदा बना रहता है। संसार की हर वस्तु, अवस्था, विचार, परिस्थितियाँ, विश्वास, धारणाएं, मान्यतायें, प्रथायें यहाँ तक कि मनुष्य और शरीर तक बदल जाते हैं, किन्तु प्रेम अपने पूर्णरूप में सदैव अपरिवर्तनशील रहता है। यही इसकी अमरता है। प्रेम अमृत है, स्वयं अमर है। ©sanjay Kumar Mishra

#love_shayari #लव  White प्रेम-तत्त्व को ज्ञानियों ने अमृत की संज्ञा दी है। निस्सन्देह प्रेम तीनों प्रकार से अमृत ही है। यह स्वयं अमर होता है। जिसकी आत्मा में यह आविर्भूत होता है, उसे अमर बना देता है। इसकी अनुभूति और इसका रस अमृत के समान अक्षय आनंद देने वाला होता है। प्रेम अमृत अर्थात् अमर होता है। यह तत्त्व न तो कभी मरता है, न नष्ट होता है और न इसमें परिवर्तन का विकार उत्पन्न होता है। एक बार उत्पन्न होकर यह सदा-सर्वदा बना रहता है। संसार की हर वस्तु, अवस्था, विचार, परिस्थितियाँ, विश्वास, धारणाएं, मान्यतायें, प्रथायें यहाँ तक कि मनुष्य और शरीर तक बदल जाते हैं, किन्तु प्रेम अपने पूर्णरूप में सदैव अपरिवर्तनशील रहता है। यही इसकी अमरता है। प्रेम अमृत है, स्वयं अमर है।

©sanjay Kumar Mishra

#love_shayari प्रेम

12 Love

White अक्सर हम देखते है । की लोग अपनों से और अपने ही समाज से लड़ते है । जिसका फायदा दूसरे समाज बाहरी व्यक्ति उठता है और समाज तथा अपनों का शोषण करता । हम उस व्यक्ति को दंड देने के बजाए अपनों को या समाज को दंड देने लगते है । समाज और रिश्ता इसीलिए होता है क्या हम अपना और समाज का शोषण होता देखते रहें समाज और संबंध इसलिए नहीं बनाया गया था बल्कि समाज और संबंध इस लिए बनाए गए की कोई बाहरी व्यक्ति हमारा या हमारे समाज को शोषण न कर सके जब समाज का कोई व्यक्ति हुए शोषण पर आवाज उठाता है उसका साथ देने के बजाए हम उसको पीठ दिखा रहे होते है । इसे आत्मसम्मान कहते हो क्या ? यह सही है यदि यह सही है तो हम सब अपना शोषण करने तैयार रहें आज मेरी बारी है कल आप की बारी हैं। समाज और संबंध इसलिए बनाए गए कि पहले हम बाहरी व्यक्ति को जिसने हमारे साथ या समाज के साथ बुरा किया है पहले उसको दंड दो हम सब आपस में लड़कर फिर एक हो सकते है । यही मेरे बाबा 5 भाई थे करते थे कोई बाहरी व्यक्ति यदि आया तो पहले उसी की मरम्मत कर देते थे । बाद हम निपट लेंगे ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #sad_quotes  White अक्सर हम देखते है । की लोग अपनों से और अपने ही समाज से  लड़ते है । जिसका फायदा दूसरे समाज  बाहरी व्यक्ति उठता है और समाज तथा अपनों का शोषण करता । हम उस व्यक्ति को दंड देने के बजाए अपनों को या समाज को दंड देने लगते है । समाज और रिश्ता इसीलिए होता है क्या हम अपना और समाज का शोषण होता देखते रहें समाज और संबंध इसलिए नहीं बनाया गया था बल्कि समाज और संबंध इस लिए बनाए गए की कोई बाहरी व्यक्ति हमारा या हमारे समाज को शोषण न कर सके जब समाज का कोई व्यक्ति हुए शोषण पर आवाज उठाता है उसका साथ देने के बजाए हम उसको पीठ दिखा रहे होते है । इसे आत्मसम्मान कहते हो क्या ? यह सही है यदि यह सही है तो हम सब अपना शोषण करने तैयार रहें आज मेरी बारी है कल आप की बारी हैं। समाज और संबंध इसलिए बनाए गए कि पहले हम बाहरी व्यक्ति को जिसने हमारे साथ या समाज के साथ बुरा किया है पहले उसको दंड दो हम सब आपस में लड़कर फिर एक हो सकते है । यही मेरे बाबा 5 भाई थे करते थे कोई बाहरी व्यक्ति यदि आया तो पहले उसी की मरम्मत कर देते थे । बाद हम निपट लेंगे

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#sad_quotes नये अच्छे विचार

16 Love

White समाज क्यों बना है? एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें सभी लोगों को एक साथ रहने में मदद करनी चाहिए। हमें एक-दूसरे की राय को समझना और सम्मान करना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए और हमें एक-दूसरे की मदद करना चाहिए जब कभी भी जरूरत हो। हमें अपने समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार, जब हम सभी मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे की मदद करेंगे,तब हमारा समाज सुखी और समृद्ध बनेगा। मेरी राय में आज का समाज समाज का अर्थ ज्यादातर लोगों के लिए होता है चार सयाने बनने वाले ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगियों को नियंत्रित और शासित करने का ठेका दे देना जो डरावनी हद तक नयेपन और परिवर्तन के विरोधी हों तथा हर बात में संस्कृति का डंडा लोगों के मुँह में ठूँसते रहते हों। इस तरह समाज लोगों के आत्मपीड़न की संस्थात्मक आत्माभिवक्ति का भौतिक स्वरुप बन जाता है। फिर ये चार लोग दुनियां भर की चीजों की ठेकेदारी ले लेते हैं जिनमें धर्म, राष्ट्र, जात, व्यवसाय, वर्ण, वगैरह जैसी चीजें होती हैं। इस तरह के आत्मपीड़न आधारित समाज की ना मैं ठेंगा परवाह करता हूँ, ना ही ऐसे किसी समाज से 'पूर्ण विरोध' से एक इंच कम का कोई नजरिया रखता हूँ। मेरे लिए संसार में दो तरह के लोग हैं: जिनको मैं जानता हूँ और जिनको मैं नहीं जानता हूँ। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #Sad_Status  White समाज क्यों बना है?
एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें सभी लोगों को एक साथ रहने में मदद करनी चाहिए। हमें एक-दूसरे की राय को समझना और सम्मान करना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए और हमें एक-दूसरे की मदद करना चाहिए जब कभी भी जरूरत हो। हमें अपने समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार, जब हम सभी मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे की मदद करेंगे,तब हमारा समाज सुखी और समृद्ध बनेगा।
मेरी राय में आज का समाज 
समाज का अर्थ ज्यादातर लोगों के लिए होता है चार सयाने बनने वाले ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगियों को नियंत्रित और शासित करने का ठेका दे देना जो डरावनी हद तक नयेपन और परिवर्तन के विरोधी हों तथा हर बात में संस्कृति का डंडा लोगों के मुँह में ठूँसते रहते हों। इस तरह समाज लोगों के आत्मपीड़न की संस्थात्मक आत्माभिवक्ति का भौतिक स्वरुप बन जाता है।
फिर ये चार लोग दुनियां भर की चीजों की ठेकेदारी ले लेते हैं जिनमें धर्म, राष्ट्र, जात, व्यवसाय, वर्ण, वगैरह जैसी चीजें होती हैं। इस तरह के आत्मपीड़न आधारित समाज की ना मैं ठेंगा परवाह करता हूँ, ना ही ऐसे किसी समाज से 'पूर्ण विरोध' से एक इंच कम का कोई नजरिया रखता हूँ। मेरे लिए संसार में दो तरह के लोग हैं: जिनको मैं जानता हूँ और जिनको मैं नहीं जानता हूँ।

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#Sad_Status आज का विचार

12 Love

White स्वाभिमान आत्मगौरव के संरक्षण एवं अभ्युदय का प्रयास है। इसमें आन्तरिक उत्कृष्टता को अक्षुण्ण रखने का साहस होता है। दबाव या प्रलोभन पर फिसल न जाना और औचित्य से विचलित न होना स्वाभिमान है। इसकी रक्षा करने में बहुधा कष्ट कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है और दुर्जनों का विरोध भी सहना पड़ता है। मनीषियों का कहना है कि अहंकार मनुष्य को गिराता है। उसे उद्दण्ड और पर पीड़क बनाता है। उसे साथियों को पीछे धकेलने, किसी के अनुग्रह की चर्चा न करने, दूसरों के प्रयासों को हड़प जाने के लिए अहंकार ही प्रेरित करता है ताकि जिस श्रेय की स्वयं कीमत नहीं चुकाई गई है उसका भी लाभ उठा लिया जाय। ऐसे लोग आमतौर से कृतघ्न होते हैं और अपनी विशेषताओं और सफलताओं का उल्लेख बढ़-चढ़ कर बार-बार करते हैं। नम्रता, विनयशीलता का अभाव होता जाता है और अन्यों को छोटा गिनाने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। इस कारण ऐसा व्यक्ति दूसरों की नजरों में निरन्तर गिरता जाता है। घृणास्पद बनता है और इसी कारण कई बार ईर्ष्या, विद्वेष आदि का शिकार बनता है। शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है और अन्ततः घाटे में रहता है। आत्म सम्मान की रक्षा करनी हो तो अहंकार से बचना ही चाहिए। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #Sad_Status  White स्वाभिमान आत्मगौरव के संरक्षण एवं अभ्युदय का प्रयास है। इसमें आन्तरिक उत्कृष्टता को अक्षुण्ण रखने का साहस होता है। दबाव या प्रलोभन पर फिसल न जाना और औचित्य से विचलित न होना स्वाभिमान है। इसकी रक्षा करने में बहुधा कष्ट कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है और दुर्जनों का विरोध भी सहना पड़ता है।
मनीषियों का कहना है कि अहंकार मनुष्य को गिराता है। उसे उद्दण्ड और पर पीड़क बनाता है। उसे साथियों को पीछे धकेलने, किसी के अनुग्रह की चर्चा न करने, दूसरों के प्रयासों को हड़प जाने के लिए अहंकार ही प्रेरित करता है ताकि जिस श्रेय की स्वयं कीमत नहीं चुकाई गई है उसका भी लाभ उठा लिया जाय। ऐसे लोग आमतौर से कृतघ्न होते हैं और अपनी विशेषताओं और सफलताओं का उल्लेख बढ़-चढ़ कर बार-बार करते हैं। नम्रता, विनयशीलता का अभाव होता जाता है और अन्यों को छोटा गिनाने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। इस कारण ऐसा व्यक्ति दूसरों की नजरों में निरन्तर गिरता जाता है। घृणास्पद बनता है और इसी कारण कई बार ईर्ष्या, विद्वेष आदि का शिकार बनता है। शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है और अन्ततः घाटे में रहता है। आत्म सम्मान की रक्षा करनी हो तो अहंकार से बचना ही चाहिए।

©sanjay Kumar Mishra

#Sad_Status अनमोल विचार

16 Love

White अहंकारी व्यक्ति को दुसरो में कुछ भी अच्छा नहीं लगता l वह दुसरो को हमेशा नीचे करता है l अगर हम में अहंकार की भावना प्रबल है तो हम दूसरों को हमेशा अपने अनुसार चलाना चाहते हैं l जैसा हम चाहते हैं वैसा ही दूसरा इंसान करे l हम बोलें तो उठे हम बोलें तो बैठे I आपने देखा होगा रिश्तों में भी हम अपने हक़ का गलत इस्तेमाल करते हैं I ये मत करो, इधर मत जाओ इससे क्यों बात करते हो, उससे क्यों बात करते हो l तुम ये नहीं करोगे, तुम वो नही करोगे etc.. हम दूसरों को दबाने की कोशिश करते हैं l फिर चाहे वो कोई भी रिश्ता क्यों न हो l क्यूंकि इससे हमारा अभिमान मजबूत होता हैं l जबकि इसके ठीक उलट स्वाभिमानी इंसान दूसरों को उनकी बुराइयों के साथ स्वीकार करने की क्षमता रखता हैं l इसको हम ऐसे कह सकते हैं की अंहकार किसी को ऊपर उठने नही देता और स्वाभिमान किसी को नीचे झुकने नही देता l ©sanjay Kumar Mishra

#मोटिवेशनल #Couple  White अहंकारी व्यक्ति को दुसरो में कुछ भी अच्छा नहीं लगता l वह दुसरो को हमेशा नीचे  करता है l अगर हम में अहंकार की भावना प्रबल है तो हम दूसरों को हमेशा अपने अनुसार चलाना चाहते हैं l जैसा हम चाहते हैं वैसा ही दूसरा इंसान करे l हम बोलें तो उठे हम बोलें तो बैठे I आपने देखा होगा रिश्तों में भी हम अपने हक़ का गलत इस्तेमाल करते हैं I ये मत करो, इधर मत जाओ इससे क्यों बात करते हो, उससे क्यों बात करते हो l तुम ये नहीं करोगे, तुम वो नही करोगे etc.. हम दूसरों को दबाने की कोशिश करते हैं l फिर चाहे वो कोई भी रिश्ता क्यों न हो l क्यूंकि इससे हमारा अभिमान मजबूत होता हैं l जबकि इसके ठीक उलट स्वाभिमानी इंसान दूसरों को उनकी बुराइयों के साथ स्वीकार करने की क्षमता रखता हैं l इसको हम ऐसे कह सकते हैं की अंहकार किसी को ऊपर उठने नही देता और स्वाभिमान किसी को नीचे झुकने नही देता l

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#Couple

13 Love

White जुड़वा आत्माए एक लाइटवर्कर है। एक पथप्रदर्शक. अंधेरे के समय में दूसरों के लिए प्रकाश की एक किरण। वे झूठ का पर्दाफाश करते हैं और मानवता को ठीक होने में मदद करते हैं। जुड़वा आत्मा मानवता के आध्यात्मिक गैंगस्टर हैं - हम सभी को प्यार की ओर वापस लाते हैं । हमारी सच्ची स्रोत ऊर्जा प्रेम है l जहाँ तक बात यह है कि यदि आपको अपनी आत्मा मिल जाती है, तो उन्हें अपना जीवनसाथी मानने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। वे हैं । आपकी आत्मा। और आप उनसे छुटकारा नहीं पा सकते, उनसे अलग नहीं हो सकते, उनसे दूर नहीं हो सकते चाहे आप कुछ भी करें। तो आप इसे स्वीकार करते हैं या नहीं यह एक विवादास्पद मुद्दा है । आत्मा में दोहरी लौ नहीं होती। अधिकांश जुड़वां आत्मा स्टारसीड/ईटी मूल की आत्माएं हैं। जहां तक ​​मेरी जानकारी है, पृथ्वी पर लगभग 80 मिलियन तारकीय आत्माएं हैं, लेकिन उनमें से सभी जुड़वां आत्मा की यात्रा पर नहीं हैं। इसलिए जुड़वां आत्मा बहुत दुर्लभ हैं। लेकिन आपके पास पृथ्वीवासी आत्माएं भी हो सकती हैं जो जुड़वां आत्मा यात्रा पर जाने के लिए काफी ऊपर चढ़ चुकी हैं लेकिन वे आत्माएं और भी दुर्लभ हैं। आपको जुड़वां आत्मा मिलती हैं जब उन्नत आत्माएं सामूहिक उत्थान में मदद करने के लिए एक आध्यात्मिक मिशन के लिए दो अलग-अलग 3डी निकायों में पुनर्जन्म लेने के लिए दो भागों में विभाजित हो जाती हैं। जागृति के बाद जुड़वां लपटें हमेशा लाइटवर्कर या आध्यात्मिक शिक्षकों में बदल जाती हैं क्योंकि उन्हें इसके लिए प्रोग्राम किया जाता है. ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #Shiva  White जुड़वा आत्माए एक लाइटवर्कर है। एक पथप्रदर्शक. अंधेरे के समय में दूसरों के लिए प्रकाश की एक किरण। वे झूठ का पर्दाफाश करते हैं और मानवता को ठीक होने में मदद करते हैं। जुड़वा आत्मा मानवता के आध्यात्मिक गैंगस्टर हैं - हम सभी को प्यार की ओर वापस लाते हैं । हमारी सच्ची स्रोत ऊर्जा प्रेम है l
जहाँ तक बात यह है कि यदि आपको अपनी आत्मा मिल जाती है, तो उन्हें अपना जीवनसाथी मानने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। वे हैं । आपकी आत्मा। और आप उनसे छुटकारा नहीं पा सकते, उनसे अलग नहीं हो सकते, उनसे दूर नहीं हो सकते  चाहे आप कुछ भी करें। तो आप इसे स्वीकार करते हैं या नहीं यह एक विवादास्पद मुद्दा है । आत्मा में दोहरी लौ नहीं होती। अधिकांश जुड़वां आत्मा  स्टारसीड/ईटी मूल की आत्माएं हैं। जहां तक ​​मेरी जानकारी है, पृथ्वी पर लगभग 80 मिलियन तारकीय आत्माएं हैं, लेकिन उनमें से सभी जुड़वां आत्मा की यात्रा पर नहीं हैं। इसलिए जुड़वां आत्मा बहुत दुर्लभ हैं। लेकिन आपके पास पृथ्वीवासी आत्माएं भी हो सकती हैं जो जुड़वां आत्मा यात्रा पर जाने के लिए काफी ऊपर चढ़ चुकी हैं लेकिन वे आत्माएं और भी दुर्लभ हैं। आपको जुड़वां आत्मा मिलती हैं जब उन्नत आत्माएं सामूहिक उत्थान में मदद करने के लिए एक आध्यात्मिक मिशन के लिए दो अलग-अलग 3डी निकायों में पुनर्जन्म लेने के लिए दो भागों में विभाजित हो जाती हैं। जागृति के बाद जुड़वां लपटें हमेशा लाइटवर्कर या आध्यात्मिक शिक्षकों में बदल जाती हैं क्योंकि उन्हें इसके लिए प्रोग्राम किया जाता है.

©sanjay Kumar Mishra

#Shiva अनमोल विचार

15 Love

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