sanjay Kumar Mishra

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White स्वधा शक्ति की प्राप्ति के अनन्तर मनुष्य के भावों का विकास होता है, और वह अपने आपको स्वाहा करने लगता है, त्याग, आत्मोत्सर्ग करता है और स्वार्थ की जगह परमार्थ-त्याग स्थान ले लेता है। जिससे प्रेम किया जाता है उसके लिए त्याग करने की इच्छा बढ़ जाती है। मनुष्य कष्ट उठाने लगता है। तब प्रेम का व्यावहारिक स्वरूप त्याग ही हो जाता है। त्याग, आत्मोत्सर्ग, बलिदान की स्थिति के अनुसार ही प्रेम कर सत्य स्वरूप विकसित होने लगता है। जब मनुष्य अपने आपको पूर्णतया स्वाहा कर देता है तब एक मात्र प्रेम की सत्ता ही सर्वत्र शेष रह जाती है। प्रेम दिव्य तत्व है। इसके परिणाम सदैव दिव्य ही मिलते हैं। किन्तु यह तब जबकि मनुष्य पुरस्कार की कामना से रहित होकर केवल प्रेम के लिए त्याग बलिदान, आत्मोत्सर्ग करता है। प्रेम का पुरस्कार तो स्वतः प्राप्त होता है और वह है आत्मसन्तोष, शान्ति, प्रसन्नता, जीवन में उत्साह आदि। प्रेम तो मनुष्य की चेतना का विकास कर उसे विश्व चेतना में प्रतिष्ठित करता ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #good_night  White स्वधा शक्ति की प्राप्ति के अनन्तर मनुष्य के भावों का विकास होता है, और वह अपने आपको स्वाहा करने लगता है, त्याग, आत्मोत्सर्ग करता है और स्वार्थ की जगह परमार्थ-त्याग स्थान ले लेता है। जिससे प्रेम किया जाता है उसके लिए त्याग करने की इच्छा बढ़ जाती है। मनुष्य कष्ट उठाने लगता है। तब प्रेम का व्यावहारिक स्वरूप त्याग ही हो जाता है। त्याग, आत्मोत्सर्ग, बलिदान की स्थिति के अनुसार ही प्रेम कर सत्य स्वरूप विकसित होने लगता है। जब मनुष्य अपने आपको पूर्णतया स्वाहा कर देता है तब एक मात्र प्रेम की सत्ता ही सर्वत्र शेष रह जाती है। प्रेम दिव्य तत्व है। इसके परिणाम सदैव दिव्य ही मिलते हैं। किन्तु यह तब जबकि मनुष्य पुरस्कार की कामना से रहित होकर केवल प्रेम के लिए त्याग बलिदान, आत्मोत्सर्ग करता है। प्रेम का पुरस्कार तो स्वतः प्राप्त होता है और वह है आत्मसन्तोष, शान्ति, प्रसन्नता, जीवन में उत्साह आदि। प्रेम तो मनुष्य की चेतना का विकास कर उसे विश्व चेतना में प्रतिष्ठित करता

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#good_night अच्छे विचारों

8 Love

White मां सरस्वती ही बुद्धि देने वाली शक्ति स्वरुपा है । जब हमे सद्ब बुद्धि आ जाती है तो विवेक उत्पन्न होता है जो हमें ज्ञान की तरफ ले जाता है । वास्तव में ज्ञान तो अनंत है जो हमें तत्वज्ञानी बनता है तत्वज्ञानी बनने पर हमें आत्मज्ञान का बोध हो जाता है । आत्मज्ञान होने के बाद फिर कुछ जानना शेष नहीं रह जाता🙏 यह पहले दृष्टिकोण था अब दूसरा हां ज्ञान शक्ति है रावण महाज्ञानी था इसलिए वह महाशक्तिशाली भी था श्स्वयं प्रभु राम इस बात को जानते थे तभी उन्होंने लक्ष्मण को मृत्यु के समय रावण के पास ज्ञान लेने के लिए भेजा था आत्मा की अनेक शक्तियों में ज्ञान प्रमुख शक्ति है। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #Sad_Status  White मां सरस्वती ही बुद्धि देने वाली शक्ति स्वरुपा है ।
जब हमे सद्ब बुद्धि आ जाती है तो विवेक उत्पन्न होता है जो हमें ज्ञान की तरफ ले जाता है । वास्तव में ज्ञान तो अनंत है जो हमें तत्वज्ञानी बनता है तत्वज्ञानी बनने पर हमें आत्मज्ञान का बोध हो जाता है । आत्मज्ञान होने के बाद फिर कुछ जानना शेष नहीं रह जाता🙏 यह पहले दृष्टिकोण था अब दूसरा हां ज्ञान शक्ति है  रावण महाज्ञानी था इसलिए वह महाशक्तिशाली भी था श्स्वयं प्रभु राम इस बात को जानते थे तभी उन्होंने लक्ष्मण को मृत्यु के समय रावण के पास ज्ञान लेने के लिए भेजा था आत्मा की अनेक शक्तियों में ज्ञान प्रमुख शक्ति है।

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#Sad_Status आज का विचार

16 Love

White ज्ञान से व्यक्ति अपने समाज में प्रभाव डाल सकता है और बदलाव ला सकता है। शक्ति से ज्ञान: शक्ति के बिना ज्ञान का उपयोग नहीं किया जा सकता। शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग करके व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग करके व्यक्ति अपने समाज में बदलाव ला सकता है।शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग करके व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है। इस प्रकार, ज्ञान और शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं। ज्ञान के साथ शक्ति की प्राप्ति होती है, और शक्ति के साथ ज्ञान की आवश्यकता होती है। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #sunset_time  White 
ज्ञान से व्यक्ति अपने समाज में प्रभाव डाल सकता है और बदलाव ला सकता है।
शक्ति से ज्ञान: शक्ति के बिना ज्ञान का उपयोग नहीं किया जा सकता। शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग करके व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग करके व्यक्ति अपने समाज में बदलाव ला सकता है।शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग करके व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
इस प्रकार, ज्ञान और शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं। ज्ञान के साथ शक्ति की प्राप्ति होती है, और शक्ति के साथ ज्ञान की आवश्यकता होती है।

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#sunset_time 'अच्छे विचार' अच्छे विचारों

15 Love

White जिस कर्म को करते हुए या करने के बाद मन में डर , शंका और लज्जा का अनुभव हो वह पाप है । जिस कर्म को करते हुए या करने के बाद मन में उमंग , उत्साह और आनन्द का अनुभव हो वह पुण्य है । जिस कर्म को करते हुए या करने के बाद मन मे कोई भाव न आये वह निष्काम होता है । इस प्रकार का कर्म सिर्फ वही कर सकता है जिसने अपने मन को पवित्र कर लिया है । इसी सिद्धान्त के आधार पर हिंदु धर्म मे हिंसा का भी स्थान है । जैसे श्रीकृष्ण और रामचन्द्र जी ने कई अधर्मियों को सजादी और मौत के घाट उतारा है । अरिहंत: अधर्म, अधर्मी का हंत करने से बड़ा पुण्य कोई नही है। अधर्मी को दंड दिए बिना छोड़ने का मतलब, वह अधर्म करता रहेगा, और उसके पाप का फल आपको भी मिलेगा। ©sanjay Kumar Mishra

#International_Day_Of_Peace #विचार  White जिस कर्म को करते हुए या करने के बाद मन में डर , शंका और लज्जा का अनुभव हो वह पाप है ।
जिस कर्म को करते हुए या करने के बाद मन में उमंग , उत्साह और आनन्द का अनुभव हो वह पुण्य है ।
जिस कर्म को करते हुए या करने के बाद मन मे कोई भाव न आये वह निष्काम होता है । इस प्रकार का कर्म सिर्फ वही कर सकता है जिसने अपने मन को पवित्र कर लिया है ।
इसी सिद्धान्त के आधार पर हिंदु धर्म मे हिंसा का भी स्थान है । जैसे श्रीकृष्ण और रामचन्द्र जी ने कई अधर्मियों को सजादी और मौत के घाट उतारा है । अरिहंत: अधर्म, अधर्मी का हंत करने से बड़ा पुण्य कोई नही है। अधर्मी को दंड दिए बिना छोड़ने का मतलब, वह अधर्म करता रहेगा, और उसके पाप का फल आपको भी मिलेगा।

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#International_Day_Of_Peace 'अच्छे विचार' नये अच्छे विचार

10 Love

White सगुण भक्ति काव्य धारा राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के बारे में कई सिद्धांत बताए हैं: 1 प्रेम में त्याग और निःस्वार्थता होना ज़रूरी है. 2 प्रेम को छीना या मांगा नहीं जा सकता. 3 प्रेम एक भावना है जो किसी व्यक्ति को अपने प्रेमी के प्रति समर्पित करती है. 4 प्यार बंधन नहीं है, बल्कि आज़ादी है. 5 सच्चा प्यार आपको अकल्पनीय तरीकों से बढ़ने में मदद करता है. 6 प्रेम इष्ट वियोग और अनिष्ट योग में परीक्षा की कसौटी पर चढ़ता है. 7 सच्चे साधक इन दुर्निवार अवस्थाओं में प्रेम से विचलित नहीं होते. 8 प्रेम मनुष्य हृदय की सर्वोत्कृष्ट वृत्ति है. प्रेम का तत्व यही है कि प्राणी मात्र को प्रेम की दृष्टि से देखा जाए. ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #GoodMorning  White सगुण भक्ति काव्य धारा
राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के बारे में कई सिद्धांत बताए हैं: 
1 प्रेम में त्याग और निःस्वार्थता होना ज़रूरी है. 
 2 प्रेम को छीना या मांगा नहीं जा सकता.  
3 प्रेम एक भावना है जो किसी व्यक्ति को अपने प्रेमी के प्रति समर्पित करती है. 4 प्यार बंधन नहीं है, बल्कि आज़ादी है. 5 सच्चा प्यार आपको अकल्पनीय तरीकों से बढ़ने में मदद करता है. 6 प्रेम इष्ट वियोग और अनिष्ट योग में परीक्षा की कसौटी पर चढ़ता है. 7 सच्चे साधक इन दुर्निवार अवस्थाओं में प्रेम से विचलित नहीं होते. 
 8 प्रेम मनुष्य हृदय की सर्वोत्कृष्ट वृत्ति है. 
 प्रेम का तत्व यही है कि प्राणी मात्र को प्रेम की दृष्टि से देखा जाए.

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#GoodMorning 'अच्छे विचार'

15 Love

White स्वस्थ आत्मविश्वास और प्रेम की क्षमता अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो सभी व्यक्तियों और वस्तुओं को एकत्रित करती है। अस्वस्थ अहंकार से प्रेम और शक्ति का विकास असंभव है। समाज में अधिकतर अस्वस्थ अहंकार का प्रभाव दृष्टिगोचर है। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #GoodMorning  White स्वस्थ आत्मविश्वास और प्रेम की क्षमता अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो सभी व्यक्तियों और वस्तुओं को एकत्रित करती है। अस्वस्थ अहंकार से प्रेम और शक्ति का विकास असंभव है। समाज में अधिकतर अस्वस्थ अहंकार का प्रभाव दृष्टिगोचर है।

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#GoodMorning आज का विचार

11 Love

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