sanjay Kumar Mishra

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White स्वार्थ के प्रभाव से बचने के लिए ये कुछ सुझाव हैं: 1अपने विचारों और कार्यों का मूल्यांकन करें और देखें कि क्या वे स्वार्थ से प्रेरित हैं। 2 दूसरों की भावनाओं और जरूरतों को समझें और उनका सम्मान करें। 3 दूसरों के साथ सहानुभूति रखें और उनकी मदद करें। 4 अपने जीवन में निस्वार्थता को अपनाएं और दूसरों की मदद के लिए आगे आएं। 5 सकारात्मक सोच रखें और जीवन को एक बड़े परिप्रेक्ष्य में देखें। 6 समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं और दूसरों के लिए कुछ अच्छा करें। 7 आत्म-निर्भरता बढ़ाएं और दूसरों पर निर्भर न रहें। 8 ज्ञान प्राप्त करें और जीवन के मूल्यों को समझें। इन सुझावों को अपनाकर आप स्वार्थ के प्रभाव से बच सकते हैं और एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #Sad_Status  White स्वार्थ के प्रभाव से बचने के लिए ये कुछ सुझाव हैं:

1अपने विचारों और कार्यों का मूल्यांकन करें और देखें कि क्या वे स्वार्थ से प्रेरित हैं। 2  दूसरों की भावनाओं और जरूरतों को समझें और उनका सम्मान करें।
 3 दूसरों के साथ सहानुभूति रखें और उनकी मदद करें।
4 अपने जीवन में निस्वार्थता को अपनाएं और दूसरों की मदद के लिए आगे आएं।
5 सकारात्मक सोच रखें और जीवन को एक बड़े परिप्रेक्ष्य में देखें।
6 समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं और दूसरों के लिए कुछ अच्छा करें।
7 आत्म-निर्भरता बढ़ाएं और दूसरों पर निर्भर न रहें।
8 ज्ञान प्राप्त करें और जीवन के मूल्यों को समझें।
इन सुझावों को अपनाकर आप स्वार्थ के प्रभाव से बच सकते हैं और एक बेहतर इंसान बन सकते हैं।

©sanjay Kumar Mishra

#Sad_Status आज का विचार

16 Love

White समाज में स्वार्थ के प्रभाव बहुत गहरे और व्यापक हो सकते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं: 1. रिश्तों में दरार: स्वार्थी लोग अक्सर अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे रिश्तों में दरारें पड़ जाती हैं। 2. विश्वास की कमी: जब लोग स्वार्थी होते हैं, तो दूसरे लोग उन पर विश्वास करना बंद कर देते हैं। 3. समाज में अस्थिरता: स्वार्थी लोग समाज में अस्थिरता और तनाव पैदा कर सकते हैं। 4. नैतिक मूल्यों का पतन: स्वार्थी लोग नैतिक मूल्यों को त्याग देते हैं और अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। 5. आत्म-सम्मान की कमी: स्वार्थी लोगों को अक्सर आत्म-सम्मान की कमी होती है, क्योंकि वे दूसरों की भावनाओं और जरूरतों को नजरअंदाज करते हैं। 6. समाज में गरिमा की कमी: स्वार्थी लोग समाज में किसी परिवार की गरिमा को धूमिल कर सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने स्वार्थ को नियंत्रित करें और दूसरों की भावनाओं और जरूरतों का सम्मान करें। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #love_shayari  White समाज में स्वार्थ के प्रभाव बहुत गहरे और व्यापक हो सकते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
1. रिश्तों में दरार: स्वार्थी लोग अक्सर अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे रिश्तों में दरारें पड़ जाती हैं। 2. विश्वास की कमी: जब लोग स्वार्थी होते हैं, तो दूसरे लोग उन पर विश्वास करना बंद कर देते हैं।
3. समाज में अस्थिरता: स्वार्थी लोग समाज में अस्थिरता और तनाव पैदा कर सकते हैं। 4. नैतिक मूल्यों का पतन: स्वार्थी लोग नैतिक मूल्यों को त्याग देते हैं और अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
5. आत्म-सम्मान की कमी: स्वार्थी लोगों को अक्सर आत्म-सम्मान की कमी होती है, क्योंकि वे दूसरों की भावनाओं और जरूरतों को नजरअंदाज करते हैं।
6. समाज में गरिमा की कमी: स्वार्थी लोग समाज में किसी परिवार की गरिमा को धूमिल कर सकते हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने स्वार्थ को नियंत्रित करें और दूसरों की भावनाओं और जरूरतों का सम्मान करें।

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#love_shayari आज का विचार

11 Love

White स्वयंवर की परिभाषा है वधू द्वारा स्वयं अपने वर का चयन करना। यह प्राचीन काल से भारतीय समाज में विद्यमान एक प्रथा थी, जिसमें कन्या को अपने वर का चयन करने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। पर आधुनिक समाज आज जबरदस्ती विवाह किसी के साथ विवाह करने की प्रथा है । लोग कहते है भईया कोई लड़की बताना बेटे का विवाह करना है । लड़की वाला कहता है लड़का बताना बताने वाला विवाह कर दिया जाता । पर बेटी का चयनित विवाह नहीं किया जाता विरोध किया जाता है । बेटी को अब अधिकार नहीं है अपना वर चुनने का । क्यूं ? ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #love_shayari  White स्वयंवर की परिभाषा है वधू द्वारा स्वयं अपने वर का चयन करना। यह प्राचीन काल से भारतीय समाज में विद्यमान एक प्रथा थी, जिसमें कन्या को अपने वर का चयन करने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। पर आधुनिक समाज आज जबरदस्ती विवाह किसी के साथ विवाह करने की प्रथा है । लोग कहते है भईया कोई लड़की बताना बेटे का विवाह करना है । लड़की वाला कहता है लड़का बताना बताने वाला विवाह कर दिया जाता । पर बेटी का चयनित विवाह नहीं किया जाता विरोध किया जाता है । बेटी को अब अधिकार नहीं है अपना वर चुनने का । क्यूं ?

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#love_shayari 'अच्छे विचार'

11 Love

White स्वयंवर की परिभाषा है वधू द्वारा स्वयं अपने वर का चयन करना। यह प्राचीन काल से भारतीय समाज में विद्यमान एक प्रथा थी, जिसमें कन्या को अपने वर का चयन करने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। पर आधुनिक समाज आज जबरदस्ती विवाह किसी के साथ विवाह करने की प्रथा है । लोग कहते है भईया कोई लड़की बताना बेटे का विवाह करना है । लड़की वाला कहता है लड़का बताना बताने वाला विवाह कर दिया जाता । पर बेटी को अब अधिकार नहीं है अपना वर चुनने का । क्यूं ? ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #sad_quotes  White स्वयंवर की परिभाषा है वधू द्वारा स्वयं अपने वर का चयन करना। यह प्राचीन काल से भारतीय समाज में विद्यमान एक प्रथा थी, जिसमें कन्या को अपने वर का चयन करने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। पर आधुनिक समाज आज जबरदस्ती विवाह किसी के साथ विवाह करने की प्रथा है । लोग कहते है भईया कोई लड़की बताना बेटे का विवाह करना है । लड़की वाला कहता है लड़का बताना बताने वाला विवाह कर दिया जाता । पर बेटी को अब अधिकार नहीं है अपना वर चुनने का । क्यूं ?

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#sad_quotes आज शुभ विचार

13 Love

White जब कभी कहीं प्रेम दिखाता है । तो इस समाज के चमचे नाते रिश्ते दार दोनों परिवारों के बीच दीवार उठाने का काम करते है ताकि मिल न पाएं हमने प्रेम नहीं किया तुम प्रेम कैसे कर सकते है। प्रेम विहीन विवाह समाज की परम परा है ताकि शोषण किया जा सके । प्रेम करना भिखमंगो का काम नहीं प्रेम तो कोई राजा ही कर सकता है । जिसने प्रेम का संबंध किया वह राजा है । प्रेम कोई साधारण चीज नहीं जो सबको मिलजाए । प्रेम एक शक्ति है आनंद है ज्ञान है । ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #love_shayari  White जब कभी कहीं प्रेम दिखाता है । तो इस समाज के चमचे नाते रिश्ते दार दोनों परिवारों के बीच दीवार उठाने का काम करते है ताकि मिल न पाएं हमने प्रेम नहीं किया तुम प्रेम कैसे कर सकते है। प्रेम विहीन विवाह समाज की परम परा है ताकि शोषण किया जा सके । प्रेम करना भिखमंगो का काम नहीं प्रेम तो कोई राजा ही कर सकता है । जिसने प्रेम का संबंध किया वह राजा है । प्रेम कोई साधारण चीज नहीं जो सबको मिलजाए । प्रेम एक शक्ति है आनंद है ज्ञान है ।

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#love_shayari सुविचार इन हिंदी

11 Love

White प्राचीन शास्त्रों एवं वदों में भी नारी को इतना सम्मान नहीं दिया गया है क्यों? नारी को सदियों से ही असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ी है। आखिर युगों से हमारा समाज नारी के प्रति क्यों उदासीन रहा है? इसके कई कारण रहे हैं, वेद पुराणों एवं अन्य धार्मिक स्रोतों में आर्यों ने नारी के संबंध में जो नियम निश्चित कर दिए थे वे नियम आज भी प्रचलन में हैं। सती प्रथा नारी उत्पीड़न का सबसे बड़ा उदाहरण है, क्या नारी को अपने पति की मृत्यु के बाद जीने का अधिकार नहीं? लेकिन इस प्रथा को चलाने वाले इस घृणित प्रथा को भी अपना धर्म स्वीकारते थे। क्या धर्म किसी नारी को जिंदा जलाने की इजाजत देता है? अगर देता है तो वो धर्म नहीं तुम्हारा शोषण है। आज सती प्रथा तो नहीं है मगर अन्य अनेक रूपों में नारी का शोषण आज भी विद्यमान है। जब तक लोग धर्म को मानेंगे तब तक वो नारी के प्रति अपनी मानसिकता को त्याग नहीं सकते क्योंकि उनके धर्म में ऐसा ही लिखा है। ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #good_night  White प्राचीन शास्त्रों एवं वदों में भी नारी को इतना सम्मान नहीं दिया गया है क्यों? नारी को सदियों से ही असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ी है। आखिर युगों से हमारा समाज नारी के प्रति क्यों उदासीन रहा है? इसके कई कारण रहे हैं, वेद पुराणों एवं अन्य धार्मिक स्रोतों में आर्यों ने नारी के संबंध में जो नियम निश्चित कर दिए थे वे नियम आज भी प्रचलन में हैं। सती प्रथा नारी उत्पीड़न का सबसे बड़ा उदाहरण है, क्या नारी को अपने पति की मृत्यु के बाद जीने का अधिकार नहीं? लेकिन इस प्रथा को चलाने वाले इस घृणित प्रथा को भी अपना धर्म स्वीकारते थे। क्या धर्म किसी नारी को जिंदा जलाने की इजाजत देता है? अगर देता है तो वो धर्म नहीं तुम्हारा शोषण है। आज सती प्रथा तो नहीं है मगर अन्य अनेक रूपों में नारी का शोषण आज भी विद्यमान है। जब तक लोग धर्म को मानेंगे तब तक वो नारी के प्रति अपनी मानसिकता को त्याग नहीं सकते क्योंकि उनके धर्म में ऐसा ही लिखा है।

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#good_night अनमोल विचार

10 Love

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