शीर्षक- सोचा था तुम तो-------------
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सोचा था तुम तो मेरा साथ दोगी, निभावोगी हमसे अपनी वफ़ा तुम।
मगर साथ तुमने भी छोड़ दिया, बेवफा, बेवफा, बेवफा हो तुम।।
सोचा था तुम तो मेरा साथ -------------------------।।
हमसे गुनाह यही हुआ कि, माना तुमको हमने अपना दिल।
इसीलिए तुमसे की मोहब्बत, तुमको समझकर अपनी मंजिल।।
सफर में तुमने तो छोड़ दिया अकेला, बड़े संगदिल हो तुम।
(बेवफा, बेवफा, बेवफा हो तुम---------------(2)
सोचा था तुम तो मेरा साथ -----------------------।।
समझा था तुमको चमन हमने अपना, सींचा था अपने लहू से।
तुम तो करोगी आबाद हमको, रोशन किया तुमको अपने लहू से।।
करके अंधेरा मेरी जिंदगी में, कर गई किनारा मुझसे तुम।
(बेवफा, बेवफा, बेवफा हो तुम--------------(2)
सोचा था तुम तो मेरा साथ --------------------------।।
कोई पसंद तुमको आ गया है, महलों में होगी दुनिया उसकी।
तुम्हें भी जरूरत है शौहरत की, बेहिसाब होगी दौलत उसकी।।
समझकर खिलौना इस मेरे दिल को, फैंक गई मिट्टी में तुम।
(बेवफा, बेवफा, बेवफा हो तुम-----------------(2)
सोचा था तुम तो मेरा साथ ----------------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
©Gurudeen Verma
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