एक हसीन ख्वाब नहीं है ये जिंदगी
की जो चाहे वही मिले
कि जो चाहे वही मिल जाए ये खुशनसीबी
हर जिंदगी को कहां है मिलती
कोई मरकर भी किसी में जी रहा है
और कोई जीते जी किसी के लिए मर रहा है
किसी को चाहा और वो किसी और को मिल जाए
ये बदनसीबी बस इस ज़िंदगी को ही है क्यों मिलती
मोहब्बत हमसे होता नहीं कमबख्त इस दिल को हो जाता है
बयां हमसे होता नहीं और सुरूर उन पर इस दिल को हो जाता है
दिल से जिसे चाहो बस वो मिल जाए ऐसा फ़िर होता हैं कहा
फ़िर वो प्यार मेरे सीने का दर्द बन जाए क्यों ऐसा कर देता है फ़ना
एक हसीन ख्वाब नहीं ये जिंदगी
की जो चाहे वो मिल जाए
ऐसे खुशनसीब इस दुनिया में होते है कहां
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#KhaamoshAwaaz