न जाने क्यों हर रिश्ते में ख़ुद को अकेला पाया है म | हिंदी शायरी

"न जाने क्यों हर रिश्ते में ख़ुद को अकेला पाया है मैंने, शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में.... तभी तो हर कोई मुझे समझ नहीं पाया है। 😔 ©आधुनिक कवयित्री"

 न जाने क्यों हर रिश्ते में ख़ुद को अकेला पाया है मैंने,
 शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में....
तभी तो हर कोई मुझे समझ नहीं पाया है।
😔

©आधुनिक कवयित्री

न जाने क्यों हर रिश्ते में ख़ुद को अकेला पाया है मैंने, शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में.... तभी तो हर कोई मुझे समझ नहीं पाया है। 😔 ©आधुनिक कवयित्री

#KhaamoshAwaaz

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