ज्ञान दीप जला अंधकार मे,
गुरु सा दीप पाया संसार मे,
जीवन उपवन बन महके,
जीत भी मील जाए हार मे,,
ज्ञान का दीप हुआ प्रज्ज्वलित,
गुरु सा नहीं मिले कोई मीत,
सही राह दिखलाये जीवन मे,
गुरु की जग मे रही है यही रीत,,
श्रद्धा सुमन सदा करु अर्पण,
आप बने रहो सत्य के दर्पण,
जीवन मे कोई गलत राह ना चुने,
ऐसा हो शिष्य का गुरु पे समर्पण,,
आती रहे ज्ञान की अरुणिमा,
बने रहे शिष्टाचार की प्रतिमा,,
गुरु और शिष्य के संगम की
धारा बहाती रहे गुरु पूर्णिमा,,
✍️नितिन कुवादे
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©Nitin Kuvade
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