अधूरे ख़्याल को शायरी या शार्ट स्टोरी में बदलें #
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 कहते हैं लोग मर गया हूं मैं
पर दोस्त सांसें अभी काफी हैं
हौंसले बुलंद हैं सामना करने को
तूफानों का सीना चीर बढ़ने को
मरी हैं तो सिर्फ उम्मीदें औरों से
और अहम अंदर का हो गया खत्म
जो कहते हैं डर गया हूं वो 
हंसने वाले लोगों पर वक्त हंस रहा
किसी बात की फिक्र नहीं मुझे
हंसने के डर के आगे बढ़ गया हूं मैं ।।

©NC

कहते हैं लोग मर गया हूं मैं पर दोस्त सांसें अभी काफी हैं हौंसले बुलंद हैं सामना करने को तूफानों का सीना चीर बढ़ने को मरी हैं तो सिर्फ उम्मीदें औरों से और अहम अंदर का हो गया खत्म जो कहते हैं डर गया हूं वो हंसने वाले लोगों पर वक्त हंस रहा किसी बात की फिक्र नहीं मुझे हंसने के डर के आगे बढ़ गया हूं मैं ।। ©NC

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#शायरी  Khushal jindgi me andera
Sha
Cha gaya
Mano kishi ne mere
Aashiyana
 Ujad diya ho

©Aaryan Singh

Jindgi

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#जानकारी  बेरहम जिंदगी की गर्दिशों में घिर गया हूं मैं, जमीन पर सब पराए लगने लगे, इसलिए डर गया हूं, ऐसा लगता है,आसमान भी मुझे देख कर हंस रहा है, इसलिए टूट कर बिखर गया हूं मैं! दोस्तो , मरने से पहले मर गया हूं मैं😢😢

©Rajan

बेरहम जिंदगी की गर्दिशों में घिर गया हूं मैं, जमीन पर सब पराए लगने लगे, इसलिए डर गया हूं, ऐसा लगता है,आसमान भी मुझे देख कर हंस रहा है, इसलिए टूट कर बिखर गया हूं मैं! दोस्तो , मरने से पहले मर गया हूं मैं😢😢 ©Rajan

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#कविता  पल्लव की डायरी
ठहाको के बीच,लूट गया हूँ मै
किराये की भीड़ से थक गया हूँ
जनमत सारा सड़को पर
वोटो का जखीरा उसे मिल गया है
मास्टरस्ट्रोक सुन सुन कर
इंजेक्शन बेहोशी का लग गया है
नसीब कहूँ या रजामंदी सियासतों की
कचूमर आम जनता का निकल गया है
कितना फला लोकतंत्र, सबक बता रहा है
लूट सियासतों की,कानून से जनता को डरा रहा है
मजाक और हँसी सब संसदों में
जनता की मांग को रेवडियां बता रहा है
अस्सी करोड़ गरीबो को फ्री राशन
फिर भी विकास का झुनझुना बजा रहा है
जालिम सियासतों की हँसी पर
सारा जनमानस डर और भय खा रहा है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

ठहाकों के बीच लुट गया हूँ में

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#शायरी #हँसने  हाँ कंही से बिखर गया हूँ मै,
अपने घर में यूँ लगे ज्यूँ बेगाना शहर गया हूँ मै!
गैरों में हूँ गैर और अपनों में जैसे मर गया हूँ मै,
हँसने वालों से डर गया हूँ मै!
महफिल की रौनक में भी
ख़ामोशी का बन मंजर गया हूँ!
हर ख़ुशी हर गम से अब तो
हो बेअसर गया हूँ,
अब तो राहों में जैसे इक टूटा पथ्थर पड़ा हूँ l
हाँ हँसने वालों से डर गया हूँ मै!!

©Madan Faniyal Singh

#हँसने वालों से डर गया हूँ मै

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#ज़िन्दगी #udasi  😔अब उदासी ही काफी हैं।

©neelam Pasi

#udasi खालीपन

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