क्या कहूं कुछ अपनों के रंग देखकर, अंदर ही अंदर घु | हिंदी शायरी Video

" क्या कहूं कुछ अपनों के रंग देखकर, अंदर ही अंदर घुट रहा हूं मैं... मैं अपने मन की "भावना" किससे कहूं, या यूं कहें जीते जी मर गया हूं मैं... ©Bhavana kmishra "

क्या कहूं कुछ अपनों के रंग देखकर, अंदर ही अंदर घुट रहा हूं मैं... मैं अपने मन की "भावना" किससे कहूं, या यूं कहें जीते जी मर गया हूं मैं... ©Bhavana kmishra

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