मुझे इजाजत नहीं किसी और को चुनने कि,
मैं तो तेरे धागे से बंधा हूँ…
मुझे इजाज़त नहीं किसी और को तकने कि,
मैं तो सिर्फ़ तेरी आँखों में बसता हूँ…
मुझे नहीं है इजाज़त किसी और के होने कि,
मैं तो कब का तेरा हो चुका हूँ…
मुझे इजाज़त नहीं खुदा से कुछ और माँगने कि,
हर लम्हा सजदे में तुझे ही तो माँगता हूँ…
गर मिले जन्नत तो सिर्फ़ तेरे साथ मिले,
मुझे अब इजाज़त नहीं कि कोई और जन्नत मिले…
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