Childhood
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ਉਹ ਤਰਸਦੀਆ ਅੱਖਾਂ ਤੇ ਬੇਕਰਾਰ ਜਿਹਾ #ਦਿਲ ਖੇਡਣ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਚੁੱਕੇ ਚੁਬਕ ਨਾਲ #ਕਿੱਲ ਮੌਲਾ ਇੰਨੀ ਛੋਟੀ ਉਮਰੇ ਮੈ ਕੀ ਪਾਪ ਕਮਾ ਲਿਆ ਕਾਹਤੋ ਛਾਈ ਰਹਿੰਦੀ ਇਨਾਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ #ਸਿੱਲ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਲੱਖਾਂ ਜੋ ਰੱਬਾ ਪੁੱਛਣੇ ਸਵਾਲ ਤੈਨੂੰ ਵਿਹਲਾ ਹੋ ਕੇਂ  ਕਦੀ ਆ ਸਾਹਮਣੇ ਤੂੰ #ਮਿਲ ©Gopy mohkamgarhiya

#ਸਿੱਲ #ਕਿੱਲ #Childhood #ਦਿਲ #ਮਿਲ  ਉਹ ਤਰਸਦੀਆ ਅੱਖਾਂ ਤੇ ਬੇਕਰਾਰ ਜਿਹਾ #ਦਿਲ
ਖੇਡਣ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਚੁੱਕੇ ਚੁਬਕ ਨਾਲ #ਕਿੱਲ 

ਮੌਲਾ ਇੰਨੀ ਛੋਟੀ ਉਮਰੇ ਮੈ ਕੀ ਪਾਪ ਕਮਾ ਲਿਆ
ਕਾਹਤੋ ਛਾਈ ਰਹਿੰਦੀ ਇਨਾਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ #ਸਿੱਲ 

ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਲੱਖਾਂ ਜੋ ਰੱਬਾ ਪੁੱਛਣੇ ਸਵਾਲ ਤੈਨੂੰ 
ਵਿਹਲਾ ਹੋ ਕੇਂ  ਕਦੀ ਆ ਸਾਹਮਣੇ ਤੂੰ #ਮਿਲ

©Gopy mohkamgarhiya

#Childhood heart touching life quotes in hindi

11 Love

Most educated and working couples DON'T allow their kid to SOCIALIZE this may be due to, over protective nature or social stratas. Let me tell you, your are making them ROBOTs, killing their intellect, hampering their moral values, making them more materialistic. Get up before its too late, their expressions and behaviour speaks a lot. ©Zahid Akhtar

#mentalHealth #Childhood  Most educated and working couples 
DON'T allow their kid to SOCIALIZE 
this may be due to,
over protective nature or social stratas.
 
Let me tell you,
your are making them ROBOTs,
killing their intellect, 
hampering their moral values,
making them more materialistic.

Get up before its too late, 
their expressions and behaviour speaks a lot.

©Zahid Akhtar

गद्दारों के शहर में दिल की बात कहे भी तो, किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं। चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर, हर कोई छल-कपट का साकार है। बातों में मलहम, हाथों में नमक, दिखावटी अपनापन हर ओर है। दर्द पूछते हैं, सहला के, फिर घावों को चीरने का जोर है। यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती, झूठ के सिक्के खनकते हैं। अपनों के बीच भी परायापन, दिलों में फासले पलते हैं। तो किससे कहें ये दिल की बात, कौन सुनेगा हमारी पुकार? इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी, जहां हर रिश्ता एक व्यापार। पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता, शायद कहीं कोई अपना भी हो। जो मलहम भी लगाए, सहलाए, और नमक के घावों से बचाए। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #Childhood  गद्दारों के शहर में

दिल की बात कहे भी तो,
किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं।
चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर,
हर कोई छल-कपट का साकार है।

बातों में मलहम, हाथों में नमक,
दिखावटी अपनापन हर ओर है।
दर्द पूछते हैं, सहला के,
फिर घावों को चीरने का जोर है।

यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती,
झूठ के सिक्के खनकते हैं।
अपनों के बीच भी परायापन,
दिलों में फासले पलते हैं।

तो किससे कहें ये दिल की बात,
कौन सुनेगा हमारी पुकार?
इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी,
जहां हर रिश्ता एक व्यापार।








पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता,
शायद कहीं कोई अपना भी हो।
जो मलहम भी लगाए, सहलाए,
और नमक के घावों से बचाए।

©Writer Mamta Ambedkar

#Childhood

14 Love

Oh God, You gifted me life as a HUMAN, but my parents probably wanted a ROBOT ©Zahid Akhtar

#Childhood #Child #Robot  Oh God,
You gifted me life
as a HUMAN,
but
my parents probably
wanted a
ROBOT

©Zahid Akhtar

चलो रिश्तों को संजो कर रखते है, एक दूसरे से कुछ मतलब रखते है। खून है अपना, जो आया है दूर से, अपनी रोटी उससे दूर ही रखते है। है अज़ीज हमको हमारे माता पिता, चलो उनको बृद्धाश्रम में रखते है। अजीज़ था अपना,चला गया दूर, दुश्मनी तो हम आज भी रखते है। तेरे जाने के बाद याद करूँ तुझको, यह ख़्वाब तो अब बेमानी लगते हैं। ऐसा है दुनिया का दस्तूर-ए-इनायत 'संजय' इंसानियत से हम अक्सर दूर ही रहते है। संजय सक्सेना प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #Childhood  चलो रिश्तों को संजो कर रखते है,
एक दूसरे से कुछ मतलब रखते है।

खून है अपना, जो आया है दूर से,
अपनी रोटी उससे दूर ही रखते है।

है  अज़ीज हमको हमारे माता पिता,
चलो उनको बृद्धाश्रम में रखते है।

अजीज़ था अपना,चला गया दूर,
दुश्मनी तो हम आज भी रखते है।

तेरे जाने के बाद याद करूँ तुझको,
यह ख़्वाब तो अब बेमानी लगते हैं।

ऐसा है दुनिया का दस्तूर-ए-इनायत 'संजय'
इंसानियत से हम अक्सर दूर ही रहते है।

संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#Childhood

11 Love

#बालकामगार  बालकामगार मी

बालकामगार मी तुम्हाला काय सांगू माझी व्यथा,
बालमजुरी करणे गुन्हा आहे,
असेच म्हणते सारी जनता

पण बालमजुरी करायची मी,
का थांबाऊ सांग,
त्याच्याशिवाय कशी विझेल,
आमच्या भुकेची आग..

अंथरुणाला खिळून बाबा माझे झोपले आहे...
4 पैशांसाठी आई माझी,
लोकांच्या घरी भांडी घासत आहे...
लहान आहे बहीण खूप,
कशी भागऊ सांगा तिची भूक...

बघून माझ्या आईचे हाल,
कप बश्या धुतो मी टपरीवर,
हातभार लावण्यासाठी तिला,
गजरे विकतो कधी सिग्नलवर..

आमच्याकडे बघून कोणी दाखवतो सहानुभूती,
तर कोणी निघून जातो रागात...
खूप काही सहन करावं लागत,
जीवन जगण्यासाठी या जगात..

मुलांना श्याळेत जाताना बघून,
वाटतो त्यांचा हेवा..
अशी ही गरिबी आम्हालाच का दिली तू देवा....

खेळण्याचे,शिकण्याचे वय आमचे,
पण बालपण हे आमचे कधीच संपून गेले,
सांग ना रे देवा अशे किती गुन्हे आम्ही केले...

कशी समझवू मी तुम्हाला, परिस्थिती माझ्या मनाची...
फक्त एकच दिवस नका दाखऊ मया,ठेऊन स्टेटस् मोबाईल वर बालकामगार दिनाची...

©Priyanka Jaiswal
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