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राह चलते- चलते , जिंदगी सवारली उसने , हजारो कांटे रास्तो मे थे ! दुनिया बेमीसाल की उसने ! वह मेरी माँ है ! ना खाना खाया , ना थकी कभी ! चलते - चलते , ना रुकी कभी वह मेरी माँ है ! पाणी की तरह, घुली मिली सब मे , सिखाती रही , दिलसे ! वह मेरी माँ है ! स्वप्नkavi 7028745643

#bestmoment  राह चलते- चलते ,
जिंदगी सवारली उसने ,
हजारो कांटे रास्तो मे थे !
दुनिया बेमीसाल की उसने !
वह मेरी माँ है !

ना खाना खाया ,
ना  थकी कभी !
चलते - चलते ,
ना रुकी कभी 
वह मेरी माँ है !

पाणी की तरह,
घुली मिली सब मे ,
सिखाती रही ,
दिलसे !
वह मेरी माँ है !

स्वप्नkavi
7028745643

माँ... वह बहुत ही खूबसूरत है, मगर अच्छा नहीं लगता... बिना ओढ़नी के सिर हो तो फिर अच्छा नहीं लगता। बहुत ही खूबसूरत मुस्कुराती है भले पत्नी हो घर में, मगर मां के बिना कोई भी घर अच्छा नहीं लगता।। जो हर गम को पलकों में छिपाए जाती है.. जीसकी दिल से कसमें खाई उठाई जाती हैं... जिसे लोग कहते हैं जन्नत... यारों मां के ही कदमों में पाई जाती है।।

#Life_experience  माँ... 

वह बहुत ही खूबसूरत है, 
मगर अच्छा नहीं लगता... 
बिना ओढ़नी के सिर हो तो फिर अच्छा नहीं लगता।
 बहुत ही खूबसूरत मुस्कुराती है
 भले पत्नी हो घर में, मगर मां के बिना कोई भी घर अच्छा नहीं लगता।। 
जो हर गम को पलकों में छिपाए जाती है..
 जीसकी दिल से कसमें खाई उठाई जाती हैं... 
जिसे लोग कहते हैं जन्नत... 
यारों मां के ही कदमों में पाई जाती है।।

maa

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घर आके इस बार घर की तलासी लूंगा मुकम्मल ना जाने मेरी माँ ग़म कहा कहा छुपा कर रखती है.😢😢 nitesh..

#बात  घर आके इस बार घर की तलासी लूंगा मुकम्मल

ना जाने मेरी माँ ग़म कहा कहा छुपा कर रखती है.😢😢

nitesh..

घर आके इस बार घर की तलासी लूंगा मुकम्मल ना जाने मेरी माँ ग़म कहा कहा छुपा कर रखती है.😢😢 nitesh..

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मंजिल दूर और सफ़र बहुत है छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है मार डालती ये दुनिया कब की हमे लेकिन “पापा ” के प्यार में असर बहुत है।

#Papa  मंजिल दूर और सफ़र बहुत है
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है
मार डालती ये दुनिया कब की हमे
लेकिन “पापा ” के प्यार में असर बहुत है।

#Papa

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arjunkumar

#bestmoment  arjunkumar

लाज़िमी है, एक तुम ही हो अनचाही प्रेमिका । जिसका मोह न होते हुए भी , तुमसे सच्ची मुहब्बत कर बैठे। शायद तुम्हारा हमारा प्यार अब अमर हो गया है, तुम्हारी ज़िद है, तुम मेरे साथ सात जनम तक रहो, मेरी ज़िद है, तुम मेरे साथ जनम- जनम तक रहो। सुनो... न तुम रहो न मैं रहूं, कुछ ऐसा कर देते हैं ,कि सिर्फ 'हम' रहें। DRP.

 लाज़िमी है,
 एक तुम ही हो अनचाही प्रेमिका ।
जिसका मोह न होते हुए भी , 
तुमसे सच्ची मुहब्बत कर बैठे। 
शायद तुम्हारा हमारा प्यार अब अमर हो गया है, 
तुम्हारी ज़िद है, 
तुम मेरे साथ सात जनम तक रहो,
मेरी ज़िद है,
तुम मेरे साथ जनम- जनम तक रहो।
सुनो...
न तुम रहो न मैं रहूं, 
कुछ ऐसा कर देते हैं ,कि सिर्फ 'हम' रहें।
                                    DRP.

सिर्फ हम रहें...?

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