लाज़िमी है,
एक तुम ही हो अनचाही प्रेमिका ।
जिसका मोह न होते हुए भी ,
तुमसे सच्ची मुहब्बत कर बैठे।
शायद तुम्हारा हमारा प्यार अब अमर हो गया है,
तुम्हारी ज़िद है,
तुम मेरे साथ सात जनम तक रहो,
मेरी ज़िद है,
तुम मेरे साथ जनम- जनम तक रहो।
सुनो...
न तुम रहो न मैं रहूं,
कुछ ऐसा कर देते हैं ,कि सिर्फ 'हम' रहें।
DRP.
सिर्फ हम रहें...?