अब घर लौट आओ🥺
बुलाता है गांव अब घर लौट आओ,
बुला रही हैं रातें अब घर लौट आओ,
डूब रहा सूरज अब घर लौट आओ,
ढल रही है शाम अब घर लौट आओ,
बुला रहे हैं मकान अब घर लौट आओ,
भीग रहे हैं नयन अब घर लौट आओ,
वीरान पड़ी हैं सड़कें जबसे अब घर लौट आओ,
नहीं लगती चौपालें तबसे अब घर लौट आओ,
नहीं होता सब्र अब घर लौट आओ,
बुला रही है पीपल की छांव घर लौट आओ,
बुलाता है गांव अब घर लौट आओ।।
@वकील साहब ✍️
©love you zindagi
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