Weather
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हर जात एक सी नहीं होती! हर किसी की बात एक सी नही होती! हर मुलाकात एक सी नहीं होतीं! हर रात एक सी नहीं होतीं! हर बरसात एक सी नहीं होतीं! हर मधुरता एक सी नहीं होतीं! हर सुंदरता एक सी नहीं होतीं! हर चाहत एक सी नही होती! हर सूरत एक सी नही होती! हर मोहब्बत एक सी नही होती! ©abhishek sharma

#weather  हर जात एक सी नहीं होती! 
हर किसी की बात एक सी नही होती!

हर मुलाकात एक सी नहीं होतीं!
हर रात एक सी नहीं होतीं! 

हर बरसात एक सी नहीं होतीं!
हर मधुरता एक सी नहीं होतीं!

हर सुंदरता एक सी नहीं होतीं!
हर चाहत एक सी नही होती!

हर सूरत एक सी नही होती!
हर मोहब्बत एक सी नही होती!

©abhishek sharma

#weather

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#શાયરી #weather  તને, યાદ છે? 
જ્યારે પહેલો વરસાદ આવતો, 
મા થેપલા બનાવતી, 
આપણે રમતા, રમતા ખાતા..
વરસાદ માં આપણે ભાઇ બહેન બધા, 
ફળીયા મા  નહાતા..
ગામ નું તળાવ છલકાઇ  વળે ત્યારે, 
આપણે તળાવ કાંઠે તરવા જાતા..
હું શાળા એ થી ઘરે એકલી આવતા ડરતી ,
વરસાદ નું પાણી વચ્ચે ભરાઇ જાય ત્યારે, 
ભાઇ મને ખભે બેસાડી લઇ આવતો..
આ વરસાદ ઘણુ યાદ કરાવે છે, 
મને તો યાદ છે, તને યાદ છે?

©Farida Desar...pratilipi writer . "FORAM"

#weather

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#विचार  बदलते मौसम में ना जाने क्यो
वो रंग बदल रहे हैं
(┬┬_┬┬)
बेवजह ही सही मग़र प्यार करने की
वो ढंग बदल रहे हैं
(。•́︿•̀。)
बेवफ़ा, बेशर्म या खुदगर्ज ना जाने
क्या नाम दु उन्हें मैं
:;((•﹏•๑)));:
हर नाम के मतलब उनके संग 
बदल रहे हैं

©Vishal Kumar

बदलते मौसम में ना जाने क्यो वो रंग बदल रहे हैं (┬┬_┬┬) बेवजह ही सही मग़र प्यार करने की वो ढंग बदल रहे हैं (。•́︿•̀。) बेवफ़ा, बेशर्म या खुदगर्ज ना जाने क्या नाम दु उन्हें मैं :;((•﹏•๑)));: हर नाम के मतलब उनके संग बदल रहे हैं ©Vishal Kumar

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सकल जन बने दानी कोई नहीं दीन और बन जाए कुमुदिनी बिना बने बबुल जो बङे देते बच्चों को सीख उसी पर खुद करें अमल तो जग बने स्वर्ग भु नहीं अपितु मानव जीवन क्षणभंगुर अबतो उपकारी में बन जाये नीम जायक में लगे कङे उस खजूर से क्या फायदा जिसमें पङ जाय कीङे ©kisi ki mrs.

#Quotes  सकल जन बने दानी 
कोई नहीं दीन
और बन जाए कुमुदिनी
बिना बने बबुल
जो बङे देते बच्चों को सीख 
उसी पर खुद करें अमल
तो जग बने स्वर्ग 
भु नहीं अपितु मानव 
जीवन क्षणभंगुर
अबतो उपकारी में बन जाये नीम 
जायक में लगे कङे
उस खजूर से क्या फायदा 
जिसमें पङ जाय कीङे

©kisi ki mrs.

I wrote this poem when I was in class 5

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