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आय अधिक हो तो महँगाई में भी सस्ताई नज़र आती है, आय कम हो तो सस्ताई में भी महँगाई नज़र आती है। जीवन का ऐसा आलम है, मित्रों! कि अब कठिनाइयाँ-हीं-कठिनाइयाँ नज़र आती हैं। ©RATNESH KUMAR

#कविता #meridiary  आय अधिक हो तो महँगाई में भी सस्ताई नज़र आती है,
आय कम हो तो सस्ताई में भी महँगाई नज़र आती है।
जीवन का ऐसा आलम है, मित्रों!
कि अब कठिनाइयाँ-हीं-कठिनाइयाँ नज़र आती हैं।

©RATNESH KUMAR

#meridiary

9 Love

#andazebayan  हम तो करते है अपना
अंदाज_ए _बयान और  क्या  कहें,
अब  इस कोई  शायरी  कहे  तो  कहे...

©Deepak Kumar 'Deep'

#andazebayan

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कुछ लोगों को इज्ज़त रास नहीं आती ऐसे लोग रूपक होते है दो मुँह वाले साँप के! क्या कहें तारीफ़ में इनकी, ऐसे लोग सिर्फ़ जुते ढूँढते हैं अपने सर के नाप के!! ✍️ ©Deepak Kumar 'Deep'

#meridiary  कुछ  लोगों  को  इज्ज़त रास  नहीं  आती
ऐसे लोग रूपक होते है दो  मुँह वाले साँप के!
क्या कहें तारीफ़ में इनकी, ऐसे  लोग  सिर्फ़ जुते
ढूँढते  हैं अपने सर  के नाप के!!
✍️

©Deepak Kumar 'Deep'

#meridiary

10 Love

✍️आज की डायरी✍️ ✍️बेवजह...✍️ बेवजह बात को हमें अब बढ़ाना नहीं है । हालातों में ख़ुद को अब उलझाना नहीं है ।। सही सब हैं, समझने का नज़रिया गलत है । बेवजह किसी को अब समझाना नहीं है ।। जिंदगी चार दिन की है मुस्कुरा के जी लें । ज्यादा वक़्त इस जहाँ में अब बिताना नहीं है ।। जब किस्मत को ही मानना है दूरियों की वजह । बेवजह हाथ किसी को अब दिखाना नहीं है ।। बहुत अच्छा है तेरी महफ़िल में रुसवा हुए हम । बेवजह किसी को अपना अब बनाना नहीं है ।। ✍️ नीरज ✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

#शायरी #meridiary  ✍️आज की डायरी✍️

              ✍️बेवजह...✍️

बेवजह बात को हमें अब बढ़ाना नहीं है  । 
हालातों में ख़ुद को अब उलझाना नहीं है  ।। 

सही सब हैं, समझने का नज़रिया गलत है  । 
बेवजह किसी को अब समझाना नहीं है  ।। 

जिंदगी चार दिन की है मुस्कुरा के जी लें  । 
ज्यादा वक़्त इस जहाँ में अब बिताना नहीं है  ।। 

जब किस्मत को ही मानना है दूरियों की वजह  । 
बेवजह हाथ किसी को अब दिखाना नहीं है  ।। 

बहुत अच्छा है तेरी महफ़िल में रुसवा हुए हम  । 
बेवजह किसी को अपना अब बनाना नहीं है  ।। 

        ✍️ नीरज ✍️

©डॉ राघवेन्द्र

#meridiary

11 Love

✍️आज की डायरी✍️ ✍️पलकें भिगोना ठीक नहीं..✍️ कुछ कहो तुम भी यूँ गुमसुम सा रहना ठीक नहीं । हर बातों को खामोश निगाहों से कहना ठीक नहीं ।। मजबूरियों के साथ रिश्तों में ना दूरियाँ आ जाये । छोटी-छोटी बातों पर यूँ एतबार खोना ठीक नहीं ।। एक परिणाम ही जिंदगी की तस्वीर बदल देता है । इतनी जल्दी खुद पर से विश्वास खोना ठीक नहीं ।। जिंदादिली तब है जब हरपल मुस्कुराते रहो तुम । हालात कैसे भी रहें यूँ पलकें भिगोना ठीक नहीं ।। जीवन जीने की कला इस जहाँ से सीखो "नीरज"। अकेलेपन में इस ज़िन्दगी को जीना ठीक नहीं ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

#विचार #meridiary  ✍️आज की डायरी✍️
                    ✍️पलकें भिगोना ठीक नहीं..✍️

कुछ कहो तुम भी यूँ गुमसुम सा रहना ठीक नहीं ।
हर बातों को खामोश निगाहों से कहना ठीक नहीं ।।

मजबूरियों के साथ रिश्तों में ना दूरियाँ आ जाये ।
छोटी-छोटी बातों पर यूँ एतबार खोना ठीक नहीं ।।

एक परिणाम ही जिंदगी की तस्वीर बदल देता है ।
इतनी जल्दी खुद पर से विश्वास खोना ठीक नहीं ।।

जिंदादिली तब है जब हरपल मुस्कुराते रहो तुम ।
हालात कैसे भी रहें यूँ पलकें भिगोना ठीक नहीं ।।

जीवन जीने की कला इस जहाँ से सीखो "नीरज"।
अकेलेपन में इस ज़िन्दगी को जीना ठीक नहीं ।।

                         ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

#meridiary

9 Love

✍️आज की डायरी✍️ ✍️सीख लिया मैंने...✍️ जबसे ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीख लिया मैंने । समझना और समझाना भी सीख लिया मैंने ।। अब खौफ़ नहीं कौन क्या सोचता है मेरे लिए । जबसे ख़ुद को आजमाना सीख लिया मैंने ।। इस जहाँ में मिज़ाज बदलता देख लोगों का । महफ़िलों में आना -जाना सीख लिया मैंने ।। आज का दौर बस फ़रेबियों से भरा हुआ है । अब अपने से दिल लगाना सीख लिया मैंने ।। हर जख़्म को भरने का हुनर आ गया मुझमें । जबसे ख़ुद से मरहम लगाना सीख लिया मैंने ।। जान गया हूँ हर शख़्स के दो चेहरे हैं "नीरज"। शक़्लों को जबसे पहचानना सीख लिया मैंने ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

#शायरी #meridiary  ✍️आज की डायरी✍️
                              ✍️सीख लिया मैंने...✍️

जबसे ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीख लिया मैंने ।
समझना और समझाना भी सीख लिया मैंने ।।

अब खौफ़ नहीं कौन क्या सोचता है मेरे लिए ।
जबसे ख़ुद को आजमाना सीख लिया मैंने ।।

इस जहाँ में मिज़ाज बदलता देख लोगों का ।
महफ़िलों में आना -जाना सीख लिया मैंने ।।

आज का दौर बस फ़रेबियों से भरा हुआ है ।
अब अपने से दिल लगाना सीख लिया मैंने ।।

हर जख़्म को भरने का हुनर आ गया मुझमें ।
जबसे ख़ुद से मरहम लगाना सीख लिया मैंने ।।

जान गया हूँ हर शख़्स के दो चेहरे हैं "नीरज"।
शक़्लों को जबसे पहचानना सीख लिया मैंने ।।

                ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

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