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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा, खुद को उसके ख्यालों में खोया देखा, मिल गया आज वो जिसके इंतजार में, ना जाने कितने सालों से, अनकहे एहसासों को संजोए रखा| ©KaLpAnA

#Nind_ko_ankhon_se  आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा, 
खुद को उसके ख्यालों में खोया देखा, 
मिल गया आज वो जिसके इंतजार में, 
ना जाने कितने सालों से, 
अनकहे एहसासों को संजोए रखा|

©KaLpAnA

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा उनको किसी और के आगोश में जो बैठे देखा ©Rimpi chaube

#नींद_को_आँखों_से  आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 
उनको किसी और के आगोश में जो
 बैठे देखा

©Rimpi chaube

#नींद_को_आँखों_से आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ता देखा! उनको किसी और के आगोश में जो बैठे देखा!!

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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा अरसे से दबी चिंगारी को सुलगते देखा है ©sandeep kumar

#Nind_ko_ankhon_se #कविता  आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा अरसे से दबी चिंगारी को सुलगते देखा है

©sandeep kumar

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आंखों से बिछड़ते देखा जब उसको खुद से दूर होता हुआ देखा टूट गई हमारी सांसों की डोर उस वक्त जब हमने उसे किसी और की बाहों में देखा। और रो पड़ी मौत भी देखकर हाल हमारा जब उसने हमें महबूब का नाम खून से लिखते हुए देखा।। ©ALOK SONI

#Nind_ko_ankhon_se  आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आंखों से बिछड़ते देखा
जब उसको खुद से दूर होता हुआ देखा
टूट गई हमारी सांसों की डोर उस वक्त
जब हमने उसे किसी और की बाहों में देखा।
और रो पड़ी मौत भी देखकर  हाल हमारा
जब उसने हमें महबूब का नाम खून से 
लिखते हुए देखा।।

©ALOK SONI

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आंखों से बिछड़ते देखा हमने चांद को बदलो में फिर छिपते देखा होती रही मुलाकात उस शख़्स से ख्वाबों में जिसे हकीकत में खुद से बिछड़ता देखा। ©ALOK SONI

#Nind_ko_ankhon_se  आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आंखों से बिछड़ते देखा
हमने चांद को बदलो में फिर छिपते देखा
 होती रही मुलाकात उस शख़्स से ख्वाबों में
जिसे हकीकत में खुद से बिछड़ता देखा।

©ALOK SONI

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आंखों से बिछड़ते देखा हमने उसे ख्वाबों में किसी और का होते देखा टूट गई सांसों को डोर उस दिन जब मैंने उसे हकीकत में ’ रकीब ’ की बाहों में सोते देखा। ©ALOK SONI

#Nind_ko_ankhon_se  आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर नींद को आंखों से
बिछड़ते देखा

हमने उसे ख्वाबों में  किसी और का
होते देखा

टूट गई सांसों को डोर उस दिन 

जब मैंने उसे हकीकत में ’ रकीब ’
की बाहों में सोते देखा।

©ALOK SONI
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