आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा अरसे से दबी चि | हिंदी कविता

"आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा अरसे से दबी चिंगारी को सुलगते देखा है ©sandeep kumar"

 आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा अरसे से दबी चिंगारी को सुलगते देखा है

©sandeep kumar

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा अरसे से दबी चिंगारी को सुलगते देखा है ©sandeep kumar

#Nind_ko_ankhon_se

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