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Unsplash एक जलते बुझते दीये क़ी तरह होता हैँ सुख दुख आदमी के हर परिवार का ये वैसे ही हैँ जैसे तेल और बाती जरुरी होती हैँ दीये क़ी जिंदगी के लिए ©Parasram Arora

 Unsplash एक जलते बुझते दीये 
क़ी तरह होता हैँ
सुख  दुख 
आदमी के हर परिवार का 

ये वैसे ही  हैँ जैसे 
तेल और बाती जरुरी 
होती हैँ दीये  क़ी जिंदगी के लिए

©Parasram Arora

सूझ दुख

15 Love

White ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है। यह दोनों की, अपनी-अपनी समस्या है। एक है कि जल्दी जाती नहीं और दूसरी है कि जल्दी आती नहीं। अगर पूरा गणित का, हिसाब लगा कर देखें। तो यही जीवन है। जिसमें सुख-दुख का आना-जाना, प्राकृतिक रूप से निर्धारित है। ©Rohan Roy

#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #RohanRoy  White ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है। यह दोनों की, अपनी-अपनी समस्या है। 
एक है कि जल्दी जाती नहीं 
और दूसरी है कि जल्दी आती नहीं। 
अगर पूरा गणित का, हिसाब लगा कर देखें।
तो यही जीवन है। 
जिसमें सुख-दुख का आना-जाना, 
प्राकृतिक रूप से निर्धारित है।

©Rohan Roy

ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | positive life quo

13 Love

सुख दुख तो सबके ज़िन्दगी आता जाता है

153 View

(प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-रूपी तू कांता प्रिया। हरिप्रिया तू प्राण प्रिया।। श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया। अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया। घर की तु पद्मा प्रिया।। उपवन की तू कुसुम प्रिया चंचल मन तू चंचला प्रिया।। आलय की तू वामा प्रिया । सुख-दुख की तू छवि प्रिया।। आँगन की तू आह्लाद प्रिया । चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। आकांक्षा की तू मयूख प्रिया। समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।। घरनी तू घरवाली प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया।। बाग की तू गुल प्रिया। आँगन की तू शोभा प्रिया।। परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया।। ©संगीत कुमार

#BirthDay #लव  (प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-रूपी तू कांता प्रिया।
हरिप्रिया  तू प्राण प्रिया।।
श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।

अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया।
घर की तु पद्मा प्रिया।।
उपवन की तू कुसुम  प्रिया
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

आलय की तू वामा प्रिया ।
सुख-दुख की तू छवि प्रिया।।
आँगन की तू आह्लाद प्रिया ।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

आकांक्षा की तू मयूख प्रिया।
समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।।
घरनी तू घरवाली प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

बाग की तू गुल प्रिया।
आँगन की तू शोभा प्रिया।।
परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

©संगीत कुमार

#BirthDay (प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-

12 Love

White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora

 White अब सुख और सुकून 
की  नींद कहा नसीब 
होती हैँ  आज के इंसान को


आदमी दिन भर 
व्यस्त रहता हैँ  रोज़ी 
रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे 

उसे सुकून और सुख 
की फ़िक्र करने.का 
वक़्त ही कहा मिलता हैँ?

©Parasram Arora

सुख और सुकून

13 Love

निलय-सफ़ाई चल रही, दीवाली की बात। लीपा पोती चल रही, लिछमी आवैं रात।। जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय। लीपा पोती चल रही, जान न पावै कोय।। दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं। लीपा पोती चल रही, मन सुधरन दे नाहिं।। साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय। अन्तर मन पावन नहीं, तब सुख कैसे होय।। ©Shiv Narayan Saxena

#दीवाली  निलय-सफ़ाई  चल रही, दीवाली की बात।
 लीपा  पोती  चल  रही, लिछमी  आवैं रात।।

जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय।
लीपा पोती  चल रही, जान न पावै कोय।।

दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं।
लीपा पोती  चल रही,  मन   सुधरन   दे  नाहिं।।

साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय।
अन्तर मन  पावन नहीं,  तब   सुख   कैसे  होय।।

©Shiv Narayan Saxena

#दीवाली तब सुख कैसे होय.....

16 Love

Unsplash एक जलते बुझते दीये क़ी तरह होता हैँ सुख दुख आदमी के हर परिवार का ये वैसे ही हैँ जैसे तेल और बाती जरुरी होती हैँ दीये क़ी जिंदगी के लिए ©Parasram Arora

 Unsplash एक जलते बुझते दीये 
क़ी तरह होता हैँ
सुख  दुख 
आदमी के हर परिवार का 

ये वैसे ही  हैँ जैसे 
तेल और बाती जरुरी 
होती हैँ दीये  क़ी जिंदगी के लिए

©Parasram Arora

सूझ दुख

15 Love

White ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है। यह दोनों की, अपनी-अपनी समस्या है। एक है कि जल्दी जाती नहीं और दूसरी है कि जल्दी आती नहीं। अगर पूरा गणित का, हिसाब लगा कर देखें। तो यही जीवन है। जिसमें सुख-दुख का आना-जाना, प्राकृतिक रूप से निर्धारित है। ©Rohan Roy

#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #RohanRoy  White ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है। यह दोनों की, अपनी-अपनी समस्या है। 
एक है कि जल्दी जाती नहीं 
और दूसरी है कि जल्दी आती नहीं। 
अगर पूरा गणित का, हिसाब लगा कर देखें।
तो यही जीवन है। 
जिसमें सुख-दुख का आना-जाना, 
प्राकृतिक रूप से निर्धारित है।

©Rohan Roy

ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | positive life quo

13 Love

सुख दुख तो सबके ज़िन्दगी आता जाता है

153 View

(प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-रूपी तू कांता प्रिया। हरिप्रिया तू प्राण प्रिया।। श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया। अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया। घर की तु पद्मा प्रिया।। उपवन की तू कुसुम प्रिया चंचल मन तू चंचला प्रिया।। आलय की तू वामा प्रिया । सुख-दुख की तू छवि प्रिया।। आँगन की तू आह्लाद प्रिया । चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। आकांक्षा की तू मयूख प्रिया। समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।। घरनी तू घरवाली प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया।। बाग की तू गुल प्रिया। आँगन की तू शोभा प्रिया।। परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया।। ©संगीत कुमार

#BirthDay #लव  (प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-रूपी तू कांता प्रिया।
हरिप्रिया  तू प्राण प्रिया।।
श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।

अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया।
घर की तु पद्मा प्रिया।।
उपवन की तू कुसुम  प्रिया
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

आलय की तू वामा प्रिया ।
सुख-दुख की तू छवि प्रिया।।
आँगन की तू आह्लाद प्रिया ।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

आकांक्षा की तू मयूख प्रिया।
समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।।
घरनी तू घरवाली प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

बाग की तू गुल प्रिया।
आँगन की तू शोभा प्रिया।।
परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

©संगीत कुमार

#BirthDay (प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-

12 Love

White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora

 White अब सुख और सुकून 
की  नींद कहा नसीब 
होती हैँ  आज के इंसान को


आदमी दिन भर 
व्यस्त रहता हैँ  रोज़ी 
रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे 

उसे सुकून और सुख 
की फ़िक्र करने.का 
वक़्त ही कहा मिलता हैँ?

©Parasram Arora

सुख और सुकून

13 Love

निलय-सफ़ाई चल रही, दीवाली की बात। लीपा पोती चल रही, लिछमी आवैं रात।। जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय। लीपा पोती चल रही, जान न पावै कोय।। दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं। लीपा पोती चल रही, मन सुधरन दे नाहिं।। साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय। अन्तर मन पावन नहीं, तब सुख कैसे होय।। ©Shiv Narayan Saxena

#दीवाली  निलय-सफ़ाई  चल रही, दीवाली की बात।
 लीपा  पोती  चल  रही, लिछमी  आवैं रात।।

जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय।
लीपा पोती  चल रही, जान न पावै कोय।।

दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं।
लीपा पोती  चल रही,  मन   सुधरन   दे  नाहिं।।

साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय।
अन्तर मन  पावन नहीं,  तब   सुख   कैसे  होय।।

©Shiv Narayan Saxena

#दीवाली तब सुख कैसे होय.....

16 Love

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