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White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें देखे जो भी कर देती हैं उस को घायल वो आँखें दिल में पसरे सन्नाटे को बाँध के अपने पोरों से बन के धड़कन छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें शाम सवेरे डोले ऐसे मन के वीराँ आँगन में दूर गगन में गोया कोई उड़ता झाँकल वो आँखें बचने को मुश्ताक़ जहां से मस्त रुपहली क़ामत पे शर्म हया का पैराहन या कह लो आँचल वो आँखें उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना आलम सारा कर दे आबी बरखा, बादल वो आँखें तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें ©Parastish

#lovepoetry #parastish #ghazal #sher  White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें
देखे  जो  भी  कर  देती  हैं  उस  को  घायल वो आँखें 

दिल  में  पसरे  सन्नाटे  को  बाँध  के  अपने  पोरों  से 
बन के धड़कन  छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें 

शाम   सवेरे   डोले  ऐसे   मन   के   वीराँ   आँगन  में 
दूर  गगन   में  गोया  कोई  उड़ता  झाँकल  वो  आँखें

बचने  को  मुश्ताक़  जहां से मस्त रुपहली  क़ामत  पे 
शर्म  हया  का  पैराहन या  कह लो आँचल  वो आँखें 

उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना 
आलम  सारा  कर  दे  आबी  बरखा, बादल वो आँखें 

तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए 
कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें

©Parastish

अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर

23 Love

White पल्लव की डायरी घोसले जानवरो जैसे पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है रहता जिसमे हवा पानी का अभाव घुटन भरी शाम है ना सूरज ना चाँद का दीदार है अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये कुछ टुकड़े लालच के फेककर गाँवो से होता पलायन है सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से मगर हो चला गुमशुदा आदमी यहाँ अपनी पहचान से प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri #कविता  White पल्लव की डायरी
घोसले जानवरो जैसे
पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है
रहता जिसमे हवा पानी का अभाव
घुटन भरी शाम है
ना सूरज ना चाँद का दीदार है
अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये
कुछ टुकड़े लालच के  फेककर
गाँवो से होता पलायन है
सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से
मगर हो चला गुमशुदा 
आदमी यहाँ अपनी पहचान से
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri रहता जिसमे हवा पानी का अभाव है

19 Love

White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें देखे जो भी कर देती हैं उस को घायल वो आँखें दिल में पसरे सन्नाटे को बाँध के अपने पोरों से बन के धड़कन छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें शाम सवेरे डोले ऐसे मन के वीराँ आँगन में दूर गगन में गोया कोई उड़ता झाँकल वो आँखें बचने को मुश्ताक़ जहां से मस्त रुपहली क़ामत पे शर्म हया का पैराहन या कह लो आँचल वो आँखें उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना आलम सारा कर दे आबी बरखा, बादल वो आँखें तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें ©Parastish

#lovepoetry #parastish #ghazal #sher  White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें
देखे  जो  भी  कर  देती  हैं  उस  को  घायल वो आँखें 

दिल  में  पसरे  सन्नाटे  को  बाँध  के  अपने  पोरों  से 
बन के धड़कन  छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें 

शाम   सवेरे   डोले  ऐसे   मन   के   वीराँ   आँगन  में 
दूर  गगन   में  गोया  कोई  उड़ता  झाँकल  वो  आँखें

बचने  को  मुश्ताक़  जहां से मस्त रुपहली  क़ामत  पे 
शर्म  हया  का  पैराहन या  कह लो आँचल  वो आँखें 

उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना 
आलम  सारा  कर  दे  आबी  बरखा, बादल वो आँखें 

तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए 
कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें

©Parastish

अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर

23 Love

White पल्लव की डायरी घोसले जानवरो जैसे पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है रहता जिसमे हवा पानी का अभाव घुटन भरी शाम है ना सूरज ना चाँद का दीदार है अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये कुछ टुकड़े लालच के फेककर गाँवो से होता पलायन है सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से मगर हो चला गुमशुदा आदमी यहाँ अपनी पहचान से प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri #कविता  White पल्लव की डायरी
घोसले जानवरो जैसे
पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है
रहता जिसमे हवा पानी का अभाव
घुटन भरी शाम है
ना सूरज ना चाँद का दीदार है
अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये
कुछ टुकड़े लालच के  फेककर
गाँवो से होता पलायन है
सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से
मगर हो चला गुमशुदा 
आदमी यहाँ अपनी पहचान से
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri रहता जिसमे हवा पानी का अभाव है

19 Love

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