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कांटे भरे रास्ते को भी पार कर लेता है

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काँटे भी जरुरी हैं साहब फूलों की हिफाजत के लिए ©chander mukhi

#शायरी #फूल  काँटे भी जरुरी हैं साहब 
फूलों की हिफाजत के लिए

©chander mukhi

#फूल

17 Love

White मन का जख्म बदन पर जो लगे, वो जख्म भर जाते हैं, वक़्त की मरहम से, दर्द भी मिट जाते हैं। पर जो गहरे घाव, मन के भीतर लगते हैं, वो हर धड़कन के संग, फिर से जी उठते हैं। न कोई मलहम, न कोई दवा कारगर, इन घावों को बस, सहेजना ही है बेहतर। ये घाव सिखाते हैं, जीवन का एक पाठ, हर दर्द के पीछे छुपा, कोई अटल सत्य का साथ। तो मन के जख्मों को, बस प्यार से थाम लो, दर्द की इस धारा में, खुद को पहचान लो। क्योंकि मन का घाव ही, तुम्हें मजबूत बनाएगा, और जीवन के हर मोड़ पर, नया सूरज दिखाएगा। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #sad_quotes  White 

मन का जख्म

बदन पर जो लगे,
वो जख्म भर जाते हैं,
वक़्त की मरहम से,
दर्द भी मिट जाते हैं।

पर जो गहरे घाव,
मन के भीतर लगते हैं,
वो हर धड़कन के संग,
फिर से जी उठते हैं।

न कोई मलहम,
न कोई दवा कारगर,
इन घावों को बस,
सहेजना ही है बेहतर।

ये घाव सिखाते हैं,
जीवन का एक पाठ,
हर दर्द के पीछे छुपा,
कोई अटल सत्य का साथ।

तो मन के जख्मों को,
बस प्यार से थाम लो,
दर्द की इस धारा में,
खुद को पहचान लो।

क्योंकि मन का घाव ही,
तुम्हें मजबूत बनाएगा,
और जीवन के हर मोड़ पर,
नया सूरज दिखाएगा।

©Writer Mamta Ambedkar

#sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

10 Love

मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात

#कविता  मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब  तक  प्रियतम |
जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम ||

©कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश कविता

12 Love

White तपे हुए रेगिस्तान मे आज अचानक मौसम क्यों बदल गया है लगता है ये रेगिस्तान कही सरकता हुआ किसी गुलशन के नज़दीज न पहुंच गया हो आज ये गतिशील समय निरंतर चहल कदमी करते करते ठहर क्यों गया है लगता है " समय "घड़ी के रुके हुए काटो को देख सकते मे न आ गया हो ©Parasram Arora

 White तपे हुए  रेगिस्तान
 मे आज अचानक 
 मौसम क्यों बदल गया है 

लगता है ये रेगिस्तान 
कही सरकता हुआ 
किसी गुलशन के 
नज़दीज न पहुंच गया हो 


आज ये  गतिशील 
समय निरंतर 
चहल कदमी करते 
करते ठहर क्यों गया है 

लगता है " समय "घड़ी 
के रुके हुए  काटो 
को देख  सकते मे न आ गया हो

©Parasram Arora

ठहरे हुए घड़ी के कांटे

12 Love

#कविता

बारिश पर कविता हिंदी कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता

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कांटे भरे रास्ते को भी पार कर लेता है

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काँटे भी जरुरी हैं साहब फूलों की हिफाजत के लिए ©chander mukhi

#शायरी #फूल  काँटे भी जरुरी हैं साहब 
फूलों की हिफाजत के लिए

©chander mukhi

#फूल

17 Love

White मन का जख्म बदन पर जो लगे, वो जख्म भर जाते हैं, वक़्त की मरहम से, दर्द भी मिट जाते हैं। पर जो गहरे घाव, मन के भीतर लगते हैं, वो हर धड़कन के संग, फिर से जी उठते हैं। न कोई मलहम, न कोई दवा कारगर, इन घावों को बस, सहेजना ही है बेहतर। ये घाव सिखाते हैं, जीवन का एक पाठ, हर दर्द के पीछे छुपा, कोई अटल सत्य का साथ। तो मन के जख्मों को, बस प्यार से थाम लो, दर्द की इस धारा में, खुद को पहचान लो। क्योंकि मन का घाव ही, तुम्हें मजबूत बनाएगा, और जीवन के हर मोड़ पर, नया सूरज दिखाएगा। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #sad_quotes  White 

मन का जख्म

बदन पर जो लगे,
वो जख्म भर जाते हैं,
वक़्त की मरहम से,
दर्द भी मिट जाते हैं।

पर जो गहरे घाव,
मन के भीतर लगते हैं,
वो हर धड़कन के संग,
फिर से जी उठते हैं।

न कोई मलहम,
न कोई दवा कारगर,
इन घावों को बस,
सहेजना ही है बेहतर।

ये घाव सिखाते हैं,
जीवन का एक पाठ,
हर दर्द के पीछे छुपा,
कोई अटल सत्य का साथ।

तो मन के जख्मों को,
बस प्यार से थाम लो,
दर्द की इस धारा में,
खुद को पहचान लो।

क्योंकि मन का घाव ही,
तुम्हें मजबूत बनाएगा,
और जीवन के हर मोड़ पर,
नया सूरज दिखाएगा।

©Writer Mamta Ambedkar

#sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

10 Love

मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात

#कविता  मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब  तक  प्रियतम |
जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम ||

©कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश कविता

12 Love

White तपे हुए रेगिस्तान मे आज अचानक मौसम क्यों बदल गया है लगता है ये रेगिस्तान कही सरकता हुआ किसी गुलशन के नज़दीज न पहुंच गया हो आज ये गतिशील समय निरंतर चहल कदमी करते करते ठहर क्यों गया है लगता है " समय "घड़ी के रुके हुए काटो को देख सकते मे न आ गया हो ©Parasram Arora

 White तपे हुए  रेगिस्तान
 मे आज अचानक 
 मौसम क्यों बदल गया है 

लगता है ये रेगिस्तान 
कही सरकता हुआ 
किसी गुलशन के 
नज़दीज न पहुंच गया हो 


आज ये  गतिशील 
समय निरंतर 
चहल कदमी करते 
करते ठहर क्यों गया है 

लगता है " समय "घड़ी 
के रुके हुए  काटो 
को देख  सकते मे न आ गया हो

©Parasram Arora

ठहरे हुए घड़ी के कांटे

12 Love

#कविता

बारिश पर कविता हिंदी कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता

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