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#Zindagi❤

कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ बबली भाटी बैसला, ©Babli BhatiBaisla

#कविता  कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी 
चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी 

पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं 
खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं 

आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू 
फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ
बबली भाटी बैसला,

©Babli BhatiBaisla
#wishes

nothing @Vicky Kumar

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अनपढ कहे जाते थे जब हम जानवरों को भी पढ़ लिया करते मन के दर्द समझ जाते थे जब पेड़ों की छांव में आराम किया करते अब कलपुर्जों से लगभग सारे काम किया करते हैं जरूरत घट गई इंसान की इसलिए अब रिश्ते बीमार रहते हैं सोचने वाली बात है नेकियों को बेवकूफियों की मचान बोलते हैं मशीनो का इस्तेमाल कर रहे हैं या मशीनों से इस्तेमाल हो रहे है सोचने समझने की क्षमताओं में जैसे कंगाल हो रहे हैं मायाजाल में उलझकर तंदुरुस्ती में भी तंगहाल हो रहे हैं बबली भाटी बै ©Babli BhatiBaisla

#कविता  अनपढ कहे जाते थे जब हम जानवरों को भी  पढ़ लिया करते 
मन के दर्द समझ जाते थे जब पेड़ों की छांव में आराम किया करते 
अब कलपुर्जों से लगभग सारे काम किया करते हैं 
जरूरत घट गई इंसान की इसलिए अब रिश्ते बीमार रहते हैं 















सोचने वाली बात है नेकियों को बेवकूफियों की मचान बोलते हैं 
मशीनो का इस्तेमाल कर रहे हैं या मशीनों से इस्तेमाल हो रहे है 
सोचने समझने की क्षमताओं में जैसे कंगाल हो रहे हैं 
 मायाजाल में उलझकर तंदुरुस्ती में भी तंगहाल हो रहे हैं 
बबली भाटी बै

©Babli BhatiBaisla
#Zindagi❤

कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ बबली भाटी बैसला, ©Babli BhatiBaisla

#कविता  कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी 
चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी 

पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं 
खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं 

आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू 
फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ
बबली भाटी बैसला,

©Babli BhatiBaisla
#wishes

nothing @Vicky Kumar

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अनपढ कहे जाते थे जब हम जानवरों को भी पढ़ लिया करते मन के दर्द समझ जाते थे जब पेड़ों की छांव में आराम किया करते अब कलपुर्जों से लगभग सारे काम किया करते हैं जरूरत घट गई इंसान की इसलिए अब रिश्ते बीमार रहते हैं सोचने वाली बात है नेकियों को बेवकूफियों की मचान बोलते हैं मशीनो का इस्तेमाल कर रहे हैं या मशीनों से इस्तेमाल हो रहे है सोचने समझने की क्षमताओं में जैसे कंगाल हो रहे हैं मायाजाल में उलझकर तंदुरुस्ती में भी तंगहाल हो रहे हैं बबली भाटी बै ©Babli BhatiBaisla

#कविता  अनपढ कहे जाते थे जब हम जानवरों को भी  पढ़ लिया करते 
मन के दर्द समझ जाते थे जब पेड़ों की छांव में आराम किया करते 
अब कलपुर्जों से लगभग सारे काम किया करते हैं 
जरूरत घट गई इंसान की इसलिए अब रिश्ते बीमार रहते हैं 















सोचने वाली बात है नेकियों को बेवकूफियों की मचान बोलते हैं 
मशीनो का इस्तेमाल कर रहे हैं या मशीनों से इस्तेमाल हो रहे है 
सोचने समझने की क्षमताओं में जैसे कंगाल हो रहे हैं 
 मायाजाल में उलझकर तंदुरुस्ती में भी तंगहाल हो रहे हैं 
बबली भाटी बै

©Babli BhatiBaisla
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