"अनपढ कहे जाते थे जब हम जानवरों को भी पढ़ लिया करते
मन के दर्द समझ जाते थे जब पेड़ों की छांव में आराम किया करते
अब कलपुर्जों से लगभग सारे काम किया करते हैं
जरूरत घट गई इंसान की इसलिए अब रिश्ते बीमार रहते हैं
सोचने वाली बात है नेकियों को बेवकूफियों की मचान बोलते हैं
मशीनो का इस्तेमाल कर रहे हैं या मशीनों से इस्तेमाल हो रहे है
सोचने समझने की क्षमताओं में जैसे कंगाल हो रहे हैं
मायाजाल में उलझकर तंदुरुस्ती में भी तंगहाल हो रहे हैं
बबली भाटी बै
©Babli BhatiBaisla"