कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी चतुरा | हिंदी कविता

"कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ बबली भाटी बैसला, ©Babli BhatiBaisla"

 कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी 
चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी 

पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं 
खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं 

आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू 
फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ
बबली भाटी बैसला,

©Babli BhatiBaisla

कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ बबली भाटी बैसला, ©Babli BhatiBaisla

चाँदनी @Ravi Ranjan Kumar Kausik @Vikram vicky 3.0 @R Ojha @Ashutosh Mishra @vineetapanchal

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