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Google दिनांक 27दिसम्बर2024 वार शुक्रवार समय सुबह पांच बजे ्््शीर्षक ्् र््श्रद्धांजलि ् ्््भावपूर्ण श्रद्धांजलि ्् डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश की आन बान शान थे उनके कदमों से सजाया गया देश का चहुंमुखी विकास में निहित निष्ठा योगदान सदैव भारतवासियों के लिए एक जीवंत पर्यन्त यादगार रहेगा,, सुमन अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, , अर्थतंत्र कादेवत्वपुरुष को क्या नमन करे क्या पूजन करें जो अन्नदाता किसान मजदूर प्रजा सेवक सेवादारी करना गुरुद्वारे चर्च मंदिर मज्जिद में अलख जगाई उम्मीद की ऐसा प्रतिबिम्ब था।। देश का गौरव डाक्टर मन मोहनसिंह जी का जीवन परिचय जो मानवता पर ख्यालात की परिधि में जीन्दगी में किसी का मोहताज नहीं रहा है ,, उनकी कथनी करनी सेवा समर्पण कोरोनावायरस जैसी महामारी में भी इन्सानी मानस जगत में उनके अर्थ तंत्र का मौलिक डंका बजाया मजबुती से , जो आज की सरकार की नीव की ईट पत्थर साबित हुआ है।। सिर्फ त्वमेव त्वमेव इस देश के प्रमुख अच्छे यशस्वी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीवन सदैव स्मरणीय श्लोक मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।। ््श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ्् ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 27,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand

#Manmohan_Singh_Dies #विचार  Google दिनांक 27दिसम्बर2024
वार शुक्रवार
समय सुबह पांच बजे
्््शीर्षक ््
र््श्रद्धांजलि ्
्््भावपूर्ण श्रद्धांजलि ््
डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश की आन बान शान थे उनके कदमों से सजाया गया देश का चहुंमुखी विकास में निहित निष्ठा योगदान सदैव भारतवासियों के लिए एक जीवंत पर्यन्त यादगार रहेगा,,
 सुमन अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, ,
अर्थतंत्र कादेवत्वपुरुष को क्या नमन करे क्या पूजन करें जो अन्नदाता किसान मजदूर प्रजा सेवक सेवादारी करना गुरुद्वारे चर्च मंदिर मज्जिद में अलख जगाई उम्मीद की ऐसा प्रतिबिम्ब था।।
 देश का गौरव डाक्टर मन मोहनसिंह जी का जीवन परिचय जो मानवता पर ख्यालात की परिधि में जीन्दगी में किसी का मोहताज नहीं रहा है ,,
उनकी कथनी करनी सेवा समर्पण कोरोनावायरस जैसी महामारी में भी इन्सानी मानस जगत में उनके अर्थ तंत्र का मौलिक डंका बजाया मजबुती से ,
जो आज की सरकार की नीव की ईट पत्थर साबित हुआ है।।
 सिर्फ त्वमेव त्वमेव इस देश के प्रमुख अच्छे यशस्वी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीवन सदैव स्मरणीय श्लोक मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
््श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ््
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
27,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand

#Manmohan_Singh_Dies सुविचार इन हिंदी श्रद्धा सुमन अर्पित डाक्टर ्््श्रीमनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है ््

16 Love

पल्लव की डायरी हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है कभी समाजिक व्यवस्था का चलन कभी पंचायते न्याय करती थी राजा रजवाड़े सब आये और गये मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है प्रतिनिधि सब जनता के होते है नीयत और सेवा का भाव हो तो कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है
कभी समाजिक व्यवस्था का चलन
कभी पंचायते न्याय करती थी
राजा रजवाड़े सब आये और गये
मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी
अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है
प्रतिनिधि सब जनता के होते है
नीयत और सेवा का भाव हो तो
कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो

24 Love

एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है। ©Srinivas

#कोट्स  एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

©Srinivas

एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

10 Love

#मोटिवेशनल #SatyendraUrmilaSharma #NavBharatTimes #oldagediary #mdmdt

मेरा देश मेरा दायित्व सेवा कुटीर। वृद्धजनों की सेवा पर्यावरण सुरक्षा। #SatyendraUrmilaSharma Varanasi #oldagediary #mdmdt #mdmdt #NBT #NavBh

126 View

#मोटिवेशनल

मां बाप की सेवा

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पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते अपने आधे हिस्से में अंधेरा और आधे में उजाला लिए रात को दिन और दिन को रात करते कभी-कभी कांपती हो तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले सभी कुछ को नष्ट कर दोगी पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम्हारी सतह पर कितना जल है तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है लेकिन तुम्हारे गर्भ में गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है सिर्फ अग्नि पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो किन प्रक्रियाओं से गुजर कर कितने चुपचाप रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से भरा है तुम्हारा ह्रदय पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो -नरेश सक्सेना ©gudiya

#nojotohindi #NatureLove  पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

21 Love

Google दिनांक 27दिसम्बर2024 वार शुक्रवार समय सुबह पांच बजे ्््शीर्षक ्् र््श्रद्धांजलि ् ्््भावपूर्ण श्रद्धांजलि ्् डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश की आन बान शान थे उनके कदमों से सजाया गया देश का चहुंमुखी विकास में निहित निष्ठा योगदान सदैव भारतवासियों के लिए एक जीवंत पर्यन्त यादगार रहेगा,, सुमन अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, , अर्थतंत्र कादेवत्वपुरुष को क्या नमन करे क्या पूजन करें जो अन्नदाता किसान मजदूर प्रजा सेवक सेवादारी करना गुरुद्वारे चर्च मंदिर मज्जिद में अलख जगाई उम्मीद की ऐसा प्रतिबिम्ब था।। देश का गौरव डाक्टर मन मोहनसिंह जी का जीवन परिचय जो मानवता पर ख्यालात की परिधि में जीन्दगी में किसी का मोहताज नहीं रहा है ,, उनकी कथनी करनी सेवा समर्पण कोरोनावायरस जैसी महामारी में भी इन्सानी मानस जगत में उनके अर्थ तंत्र का मौलिक डंका बजाया मजबुती से , जो आज की सरकार की नीव की ईट पत्थर साबित हुआ है।। सिर्फ त्वमेव त्वमेव इस देश के प्रमुख अच्छे यशस्वी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीवन सदैव स्मरणीय श्लोक मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।। ््श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ्् ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 27,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand

#Manmohan_Singh_Dies #विचार  Google दिनांक 27दिसम्बर2024
वार शुक्रवार
समय सुबह पांच बजे
्््शीर्षक ््
र््श्रद्धांजलि ्
्््भावपूर्ण श्रद्धांजलि ््
डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश की आन बान शान थे उनके कदमों से सजाया गया देश का चहुंमुखी विकास में निहित निष्ठा योगदान सदैव भारतवासियों के लिए एक जीवंत पर्यन्त यादगार रहेगा,,
 सुमन अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, ,
अर्थतंत्र कादेवत्वपुरुष को क्या नमन करे क्या पूजन करें जो अन्नदाता किसान मजदूर प्रजा सेवक सेवादारी करना गुरुद्वारे चर्च मंदिर मज्जिद में अलख जगाई उम्मीद की ऐसा प्रतिबिम्ब था।।
 देश का गौरव डाक्टर मन मोहनसिंह जी का जीवन परिचय जो मानवता पर ख्यालात की परिधि में जीन्दगी में किसी का मोहताज नहीं रहा है ,,
उनकी कथनी करनी सेवा समर्पण कोरोनावायरस जैसी महामारी में भी इन्सानी मानस जगत में उनके अर्थ तंत्र का मौलिक डंका बजाया मजबुती से ,
जो आज की सरकार की नीव की ईट पत्थर साबित हुआ है।।
 सिर्फ त्वमेव त्वमेव इस देश के प्रमुख अच्छे यशस्वी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीवन सदैव स्मरणीय श्लोक मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
््श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ््
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
27,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand

#Manmohan_Singh_Dies सुविचार इन हिंदी श्रद्धा सुमन अर्पित डाक्टर ्््श्रीमनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है ््

16 Love

पल्लव की डायरी हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है कभी समाजिक व्यवस्था का चलन कभी पंचायते न्याय करती थी राजा रजवाड़े सब आये और गये मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है प्रतिनिधि सब जनता के होते है नीयत और सेवा का भाव हो तो कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है
कभी समाजिक व्यवस्था का चलन
कभी पंचायते न्याय करती थी
राजा रजवाड़े सब आये और गये
मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी
अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है
प्रतिनिधि सब जनता के होते है
नीयत और सेवा का भाव हो तो
कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो

24 Love

एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है। ©Srinivas

#कोट्स  एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

©Srinivas

एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

10 Love

#मोटिवेशनल #SatyendraUrmilaSharma #NavBharatTimes #oldagediary #mdmdt

मेरा देश मेरा दायित्व सेवा कुटीर। वृद्धजनों की सेवा पर्यावरण सुरक्षा। #SatyendraUrmilaSharma Varanasi #oldagediary #mdmdt #mdmdt #NBT #NavBh

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#मोटिवेशनल

मां बाप की सेवा

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पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते अपने आधे हिस्से में अंधेरा और आधे में उजाला लिए रात को दिन और दिन को रात करते कभी-कभी कांपती हो तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले सभी कुछ को नष्ट कर दोगी पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम्हारी सतह पर कितना जल है तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है लेकिन तुम्हारे गर्भ में गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है सिर्फ अग्नि पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो किन प्रक्रियाओं से गुजर कर कितने चुपचाप रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से भरा है तुम्हारा ह्रदय पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो -नरेश सक्सेना ©gudiya

#nojotohindi #NatureLove  पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

21 Love

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