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White चलना है विश्राम नहीं है.... ------------------------------ चलना है विश्राम नहीं है। व्यर्थ में करना आराम नहीं है। अमूल्य समय गंवाने से, बनता कोई काम नहीं है। समय जो एक बार चला जाएगा। वापस वह लौट कर नहीं आएगा। चाहे तुम जितना जोर लगा लो, समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। जीवन को ना समझो सुमन-पथ। यह तो है ;बिन पहियों का रथ। खींच कर तुमको ले जाना है, और पार करना है यह अग्निपथ। संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya

#चलना  White चलना है विश्राम नहीं है.... 
------------------------------

चलना है विश्राम नहीं है। 
व्यर्थ में करना आराम नहीं है। 
अमूल्य समय गंवाने से, 
बनता कोई काम नहीं है। 

समय जो एक बार चला जाएगा। 
वापस वह लौट कर नहीं आएगा। 
चाहे तुम जितना जोर लगा लो, 
समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। 

जीवन को ना समझो  सुमन-पथ। 
यह तो है ;बिन पहियों का रथ। 
खींच कर तुमको ले जाना है, 
और पार करना है यह अग्निपथ। 

 संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। 
तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। 
अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, 
तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। 

स्वरचित और मौलिक

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#चलना है विश्राम नहीं है

10 Love

White क्या मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में, किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, शामों के कामों व रात भर के दिल,मन,जज्बातों के मरे खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की , तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी क्या मैं हूं कहीं,, या मैं हूं ही नहीं,,,, .................१............. ©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं #शोर_शराबे #खुशियों #हालातों #चकनाचूर #दोपहरी  White क्या मैं हूं कहीं,
या मैं हूं ही नहीं 

तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में,  किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी
तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, 
शामों के कामों व रात भर के  
दिल,मन,जज्बातों के मरे 
खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की ,
 तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे 
टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी
क्या मैं हूं कहीं,,
या मैं हूं ही नहीं,,,,
.................१.............

©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #

13 Love

White प्रेम में अक्सर हीं आदमी बेचारा हो जाता है || ........... ©अपनी कलम से

#love_shayari #Quotes  White प्रेम में अक्सर हीं आदमी बेचारा हो जाता है ||








...........

©अपनी कलम से

#love_shayari @Kavi Himanshu Pandey silence quotes (सवाल आपके भी मन में विचरण कर रहे होंगे कि कैसे जवाब कुछ पंक्तियों द्वारा Caption में पढ

17 Love

दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।। बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक । कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।। करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार । सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।। जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख । पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।। आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च । रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।। आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार । वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।। युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम । आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।। धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय । आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर ।
ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।।

प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग ।
बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।।

बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक ।
कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।।

करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार ।
सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।।

जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख ।
पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।।

आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च ।
रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।।

आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार ।
वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।।

युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम ।
आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।।

धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय ।
आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।।          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गय

10 Love

White चलना है विश्राम नहीं है.... ------------------------------ चलना है विश्राम नहीं है। व्यर्थ में करना आराम नहीं है। अमूल्य समय गंवाने से, बनता कोई काम नहीं है। समय जो एक बार चला जाएगा। वापस वह लौट कर नहीं आएगा। चाहे तुम जितना जोर लगा लो, समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। जीवन को ना समझो सुमन-पथ। यह तो है ;बिन पहियों का रथ। खींच कर तुमको ले जाना है, और पार करना है यह अग्निपथ। संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya

#चलना  White चलना है विश्राम नहीं है.... 
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चलना है विश्राम नहीं है। 
व्यर्थ में करना आराम नहीं है। 
अमूल्य समय गंवाने से, 
बनता कोई काम नहीं है। 

समय जो एक बार चला जाएगा। 
वापस वह लौट कर नहीं आएगा। 
चाहे तुम जितना जोर लगा लो, 
समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। 

जीवन को ना समझो  सुमन-पथ। 
यह तो है ;बिन पहियों का रथ। 
खींच कर तुमको ले जाना है, 
और पार करना है यह अग्निपथ। 

 संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। 
तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। 
अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, 
तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। 

स्वरचित और मौलिक

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#चलना है विश्राम नहीं है

10 Love

White क्या मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में, किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, शामों के कामों व रात भर के दिल,मन,जज्बातों के मरे खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की , तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी क्या मैं हूं कहीं,, या मैं हूं ही नहीं,,,, .................१............. ©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं #शोर_शराबे #खुशियों #हालातों #चकनाचूर #दोपहरी  White क्या मैं हूं कहीं,
या मैं हूं ही नहीं 

तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में,  किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी
तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, 
शामों के कामों व रात भर के  
दिल,मन,जज्बातों के मरे 
खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की ,
 तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे 
टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी
क्या मैं हूं कहीं,,
या मैं हूं ही नहीं,,,,
.................१.............

©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #

13 Love

White प्रेम में अक्सर हीं आदमी बेचारा हो जाता है || ........... ©अपनी कलम से

#love_shayari #Quotes  White प्रेम में अक्सर हीं आदमी बेचारा हो जाता है ||








...........

©अपनी कलम से

#love_shayari @Kavi Himanshu Pandey silence quotes (सवाल आपके भी मन में विचरण कर रहे होंगे कि कैसे जवाब कुछ पंक्तियों द्वारा Caption में पढ

17 Love

दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।। बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक । कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।। करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार । सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।। जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख । पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।। आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च । रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।। आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार । वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।। युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम । आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।। धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय । आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर ।
ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।।

प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग ।
बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।।

बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक ।
कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।।

करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार ।
सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।।

जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख ।
पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।।

आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च ।
रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।।

आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार ।
वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।।

युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम ।
आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।।

धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय ।
आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।।          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गय

10 Love

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