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New देखूं तुझको शाम सवेरे Status, Photo, Video

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया, लेके जाम ढल ही गया। ढल भी जाए आई रात, अंधेरे गम जज्बात , हो लहजे -आम ढल ही गया। खाली हो जाता मैखाना भी, टूट यहां जाता पैमाना भी, क्या इंतजाम ,ढल ही गया ! ©BANDHETIYA OFFICIAL

#शायरी #शाम #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया,
लेके जाम ढल ही गया।
ढल भी जाए आई रात,
अंधेरे गम जज्बात ,
हो लहजे -आम ढल ही गया।
खाली हो जाता  मैखाना भी,
टूट यहां जाता पैमाना भी,
क्या इंतजाम ,ढल ही गया !

©BANDHETIYA OFFICIAL

बहोत ठंड हे तो कोन कोन खाएगा ☕☕☕ ©Sanaya

#विचार  बहोत ठंड हे तो कोन कोन खाएगा ☕☕☕

©Sanaya

शाम कि चाये

14 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #शायरी #फोटो

#फोटो फोटो में क्यों देखूं तुम्हें फोटो में क्यों देखूं तुम्हें क्योंकि मैंने उस फोटो को ही फाड़ दिया..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻

144 View

#शायरी #KasoorMera #SAD

#KasoorMera तेरी याद से निकलु तो मैं जमाना देखूं #SAD

126 View

White याद आती है वो शाम याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था, आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था। हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी, हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी। गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल, उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल। दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं, वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं। सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे, हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे। खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून, जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून। वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था, हर बात में बस अपनापन था। मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था, कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था। अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है, उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है। याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन, जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम। ©Avinash Jha

#शाम #याद  White याद आती है वो शाम

याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था,
आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था।
हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी,
हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी।

गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल,
उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल।
दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं,
वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं।

सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे,
हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे।
खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून,
जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून।

वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था,
हर बात में बस अपनापन था।
मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था,
कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था।

अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है,
उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है।
याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन,
जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम।

©Avinash Jha

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया, लेके जाम ढल ही गया। ढल भी जाए आई रात, अंधेरे गम जज्बात , हो लहजे -आम ढल ही गया। खाली हो जाता मैखाना भी, टूट यहां जाता पैमाना भी, क्या इंतजाम ,ढल ही गया ! ©BANDHETIYA OFFICIAL

#शायरी #शाम #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया,
लेके जाम ढल ही गया।
ढल भी जाए आई रात,
अंधेरे गम जज्बात ,
हो लहजे -आम ढल ही गया।
खाली हो जाता  मैखाना भी,
टूट यहां जाता पैमाना भी,
क्या इंतजाम ,ढल ही गया !

©BANDHETIYA OFFICIAL

बहोत ठंड हे तो कोन कोन खाएगा ☕☕☕ ©Sanaya

#विचार  बहोत ठंड हे तो कोन कोन खाएगा ☕☕☕

©Sanaya

शाम कि चाये

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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #शायरी #फोटो

#फोटो फोटो में क्यों देखूं तुम्हें फोटो में क्यों देखूं तुम्हें क्योंकि मैंने उस फोटो को ही फाड़ दिया..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻

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#शायरी #KasoorMera #SAD

#KasoorMera तेरी याद से निकलु तो मैं जमाना देखूं #SAD

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White याद आती है वो शाम याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था, आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था। हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी, हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी। गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल, उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल। दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं, वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं। सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे, हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे। खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून, जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून। वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था, हर बात में बस अपनापन था। मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था, कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था। अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है, उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है। याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन, जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम। ©Avinash Jha

#शाम #याद  White याद आती है वो शाम

याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था,
आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था।
हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी,
हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी।

गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल,
उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल।
दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं,
वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं।

सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे,
हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे।
खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून,
जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून।

वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था,
हर बात में बस अपनापन था।
मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था,
कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था।

अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है,
उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है।
याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन,
जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम।

©Avinash Jha
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