कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं
क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..!
सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर
आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..!
मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है
बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..!
यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता
उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..!
उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा
लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..!
मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही
बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!!
©Shreyansh Gaurav
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