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green-leaves पल्लव की डायरी खता कोई करे खतो को आजमाने की सेटेलाइट से भाव कम हो गये है एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का पुतलो की शक्ल लेती जा रही है दूर है सुख दुख में संग साथी खुशियाँ और संवेदनाये सोशल मीडिया से निभायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #GreenLeaves  green-leaves पल्लव की डायरी
खता कोई करे
खतो को आजमाने की
सेटेलाइट से भाव कम हो गये है
एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया
सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है
आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है
निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का
पुतलो की शक्ल लेती जा रही है
दूर है सुख दुख में संग साथी
खुशियाँ और संवेदनाये 
सोशल मीडिया से निभायी जा रही है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#GreenLeaves खता कोई करे,खतो को आजमाने की

23 Love

क्या कहूं तुमसे बड़ी खता हुई दर्द दिल को लगी, तेरी लबों की सुर्ख गुलाब सी मोहब्बत की अदा हुई कुछ कह न सके ओ लब लब से मिले दिलों के दो फूल खिले ©Champak

#शायरी #खता #लब #dhoop  क्या कहूं तुमसे बड़ी खता हुई 
दर्द दिल को लगी,
 तेरी लबों की सुर्ख गुलाब सी  मोहब्बत की अदा हुई
कुछ कह न सके ओ लब 
लब से मिले दिलों के दो फूल खिले

©Champak

जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है। दिल में सवालों का हल न मिला, तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है। कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ, वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  जब सच को छुपा लिया खुद से,
तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है।
दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा,
और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है।

दिल में सवालों का हल न मिला,
तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है।
कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ,
वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता ह

11 Love

ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman

#कविता  ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

16 Love

green-leaves पल्लव की डायरी खता कोई करे खतो को आजमाने की सेटेलाइट से भाव कम हो गये है एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का पुतलो की शक्ल लेती जा रही है दूर है सुख दुख में संग साथी खुशियाँ और संवेदनाये सोशल मीडिया से निभायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #GreenLeaves  green-leaves पल्लव की डायरी
खता कोई करे
खतो को आजमाने की
सेटेलाइट से भाव कम हो गये है
एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया
सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है
आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है
निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का
पुतलो की शक्ल लेती जा रही है
दूर है सुख दुख में संग साथी
खुशियाँ और संवेदनाये 
सोशल मीडिया से निभायी जा रही है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#GreenLeaves खता कोई करे,खतो को आजमाने की

23 Love

क्या कहूं तुमसे बड़ी खता हुई दर्द दिल को लगी, तेरी लबों की सुर्ख गुलाब सी मोहब्बत की अदा हुई कुछ कह न सके ओ लब लब से मिले दिलों के दो फूल खिले ©Champak

#शायरी #खता #लब #dhoop  क्या कहूं तुमसे बड़ी खता हुई 
दर्द दिल को लगी,
 तेरी लबों की सुर्ख गुलाब सी  मोहब्बत की अदा हुई
कुछ कह न सके ओ लब 
लब से मिले दिलों के दो फूल खिले

©Champak

जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है। दिल में सवालों का हल न मिला, तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है। कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ, वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  जब सच को छुपा लिया खुद से,
तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है।
दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा,
और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है।

दिल में सवालों का हल न मिला,
तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है।
कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ,
वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता ह

11 Love

ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman

#कविता  ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

16 Love

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