green-leaves पल्लव की डायरी खता कोई करे खतो को आजम | हिंदी कविता

"green-leaves पल्लव की डायरी खता कोई करे खतो को आजमाने की सेटेलाइट से भाव कम हो गये है एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का पुतलो की शक्ल लेती जा रही है दूर है सुख दुख में संग साथी खुशियाँ और संवेदनाये सोशल मीडिया से निभायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 green-leaves पल्लव की डायरी
खता कोई करे
खतो को आजमाने की
सेटेलाइट से भाव कम हो गये है
एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया
सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है
आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है
निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का
पुतलो की शक्ल लेती जा रही है
दूर है सुख दुख में संग साथी
खुशियाँ और संवेदनाये 
सोशल मीडिया से निभायी जा रही है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

green-leaves पल्लव की डायरी खता कोई करे खतो को आजमाने की सेटेलाइट से भाव कम हो गये है एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का पुतलो की शक्ल लेती जा रही है दूर है सुख दुख में संग साथी खुशियाँ और संवेदनाये सोशल मीडिया से निभायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#GreenLeaves खता कोई करे,खतो को आजमाने की

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