जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा स | हिंदी शायरी

"जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है। दिल में सवालों का हल न मिला, तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है। कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ, वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है। ©नवनीत ठाकुर"

 जब सच को छुपा लिया खुद से,
तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है।
दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा,
और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है।

दिल में सवालों का हल न मिला,
तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है।
कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ,
वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है।

©नवनीत ठाकुर

जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है। दिल में सवालों का हल न मिला, तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है। कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ, वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
जब सच को छुपा लिया खुद से,
तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है।
दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा,
और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है।

दिल में सवालों का हल न मिला,
तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है।

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