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New poetry on nari in hindi Status, Photo, Video

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White नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं ©Bharat Bhushan pathak

#Thinking  White नाम नहीं
बस 
वह अनुभव 
चाहता हूँ 
जिससे
नाम बनाई
जाती
है यहाँ
सीखता
रहूँ 
बस मात्र 
ये
आशीर्वाद चाहता
हूँ
वो महाविद्या 
चाहता 
हूँ मैं

©Bharat Bhushan pathak

#Thinking poetry in hindi hindi poetry hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love

11 Love

पहुँचे गुरुकुल चारों भाई। गुरु माता ने लाड़ लगाई।। कठिन नहीं जब हो अनुशासन। संभव कैसे तब हो शासन।। विचार यह गुरु माँ से बोले। महत्व अनुशासन का तौले। गुरु माँ ने संगीत सिखाई। ममता करुणा भेद बताई।। ज्ञान वेद का वशिष्ठ देते। पाठ सुशासन उन्हें बताते।। अस्त्र-शस्त्र की देते शिक्षा। कर्म-धर्म क्या देते दीक्षा।। कर्ता जो द्रष्टा कैसे होता। बोले गुरु विकार जब खोता।। समता ही जो सबमें देखे। मानव वह ही सच्चा लेखे ©Bharat Bhushan pathak

 पहुँचे गुरुकुल चारों भाई।
गुरु माता ने लाड़ लगाई।।
कठिन नहीं जब हो अनुशासन।
संभव कैसे तब हो शासन।।
विचार यह गुरु माँ से बोले।
महत्व अनुशासन का तौले।
गुरु माँ ने संगीत सिखाई।
ममता करुणा भेद बताई।।
ज्ञान वेद का वशिष्ठ देते।
पाठ सुशासन उन्हें बताते।।
अस्त्र-शस्त्र की देते शिक्षा।
कर्म-धर्म क्या देते दीक्षा।।
 कर्ता जो द्रष्टा कैसे होता।
 बोले गुरु विकार जब खोता।।
 समता ही जो सबमें देखे।
  मानव वह ही सच्चा लेखे

©Bharat Bhushan pathak

poetry on love love poetry in hindi hindi poetry on life poetry in hindi poetry quotes

9 Love

White मैं नहीं चाहता तुझे नाराज करना पर नहीं भाता तेरा नजर अंदाज करना ✍️👀👀👀✍️ ©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#Sad_Status  White मैं नहीं चाहता तुझे नाराज करना 
पर नहीं भाता तेरा नजर अंदाज करना
✍️👀👀👀✍️

©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#Sad_Status poetry in hindi hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love

20 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है। धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।। स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी। पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।। कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा। दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा। तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये। फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।। अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए। मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।। जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा। जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।। अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा। गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा ©Bharat Bhushan pathak

#सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है।
धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।।
स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी।
पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।।
कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा।
दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा।
 तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये।
 फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।।
 अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए।
  मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।।
 जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा।
 जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।।
अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा।
 गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा

©Bharat Bhushan pathak

#SunSet #सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद love poetry in hindi poetry on love hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi

12 Love

खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi

11 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

#newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry

13 Love

White नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं ©Bharat Bhushan pathak

#Thinking  White नाम नहीं
बस 
वह अनुभव 
चाहता हूँ 
जिससे
नाम बनाई
जाती
है यहाँ
सीखता
रहूँ 
बस मात्र 
ये
आशीर्वाद चाहता
हूँ
वो महाविद्या 
चाहता 
हूँ मैं

©Bharat Bhushan pathak

#Thinking poetry in hindi hindi poetry hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love

11 Love

पहुँचे गुरुकुल चारों भाई। गुरु माता ने लाड़ लगाई।। कठिन नहीं जब हो अनुशासन। संभव कैसे तब हो शासन।। विचार यह गुरु माँ से बोले। महत्व अनुशासन का तौले। गुरु माँ ने संगीत सिखाई। ममता करुणा भेद बताई।। ज्ञान वेद का वशिष्ठ देते। पाठ सुशासन उन्हें बताते।। अस्त्र-शस्त्र की देते शिक्षा। कर्म-धर्म क्या देते दीक्षा।। कर्ता जो द्रष्टा कैसे होता। बोले गुरु विकार जब खोता।। समता ही जो सबमें देखे। मानव वह ही सच्चा लेखे ©Bharat Bhushan pathak

 पहुँचे गुरुकुल चारों भाई।
गुरु माता ने लाड़ लगाई।।
कठिन नहीं जब हो अनुशासन।
संभव कैसे तब हो शासन।।
विचार यह गुरु माँ से बोले।
महत्व अनुशासन का तौले।
गुरु माँ ने संगीत सिखाई।
ममता करुणा भेद बताई।।
ज्ञान वेद का वशिष्ठ देते।
पाठ सुशासन उन्हें बताते।।
अस्त्र-शस्त्र की देते शिक्षा।
कर्म-धर्म क्या देते दीक्षा।।
 कर्ता जो द्रष्टा कैसे होता।
 बोले गुरु विकार जब खोता।।
 समता ही जो सबमें देखे।
  मानव वह ही सच्चा लेखे

©Bharat Bhushan pathak

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9 Love

White मैं नहीं चाहता तुझे नाराज करना पर नहीं भाता तेरा नजर अंदाज करना ✍️👀👀👀✍️ ©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#Sad_Status  White मैं नहीं चाहता तुझे नाराज करना 
पर नहीं भाता तेरा नजर अंदाज करना
✍️👀👀👀✍️

©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#Sad_Status poetry in hindi hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love

20 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है। धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।। स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी। पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।। कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा। दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा। तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये। फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।। अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए। मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।। जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा। जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।। अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा। गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा ©Bharat Bhushan pathak

#सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है।
धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।।
स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी।
पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।।
कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा।
दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा।
 तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये।
 फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।।
 अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए।
  मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।।
 जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा।
 जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।।
अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा।
 गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा

©Bharat Bhushan pathak

#SunSet #सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद love poetry in hindi poetry on love hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi

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खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi

11 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

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