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White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून प्राणशून्य देहाला "मरण" म्हणजे खुप मोठं गिफ्ट वाटत असेल..... ईश्वरी ©Eshwari

#मरण #Quotes  White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात
 या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून 
प्राणशून्य  देहाला "मरण" म्हणजे 
खुप  मोठं गिफ्ट वाटत असेल.....

            ईश्वरी

©Eshwari

#मरण एक आनंद

12 Love

#Videos

lyrics 💥

72 View

रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand

#भक्ति  रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

रचना दिनांक 24,, नवम्बर 2024, वार। रविवार,, समय सुबह दस बजे ्््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््छाया चित्र में दिखाया गया फूलों से महकते रहे कला संस्कृति साहित्य और कला धर्मी रचनाकार , शब्द शिल्पी कलाकृति मुर्तिकार चित्रकार की, तुलिका से सजाया गया विचार सच है ्््निज विचार ््््भावचित्र ्् कलाधर्मी््् ््शब्द साधिका कलाप्रेमी शब्द मनिषी ््् ््््निजविचार ््् बहुत सुंदर बहुत खुब सिद्धांत सुविधाएं मांगे साक्ष्य सब कुछ उपलब्ध है ,, ,,पत्थर को तराशती तोड़ती पत्थर से निकलते झैनी और हथौड़ी से आकर प्रकार निर्राकार।। आकारहीन हवाओं में रहते,, मन से कलम दवात कागज पर लिखकर ,।। चित्र को चित्रकार,और मूर्ति को मूर्तिकार रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से रूबरू होकर नक्काशी वाले ,, शब्दशिल्पी अपने विचार प्रकार,,मीनु,, अलग अलग गुणों से भरपूर होते हैं ।। जो कला साहित्य विज्ञान कर्म मर्मज्ञ शब्द साधिका है ,, सुर्य के भांति संसार में जगत में चमक रही है।। ््् कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,11,,2024,, ©Shailendra Anand

#विचार  रचना दिनांक 24,, नवम्बर 2024,
वार।  रविवार,,
समय सुबह दस बजे
्््भावचित्र ््
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
््छाया चित्र में दिखाया गया फूलों से महकते रहे
कला संस्कृति साहित्य और कला धर्मी रचनाकार ,
शब्द शिल्पी कलाकृति मुर्तिकार चित्रकार की, तुलिका से सजाया गया विचार सच है ्््निज विचार
््््भावचित्र ््
कलाधर्मी्््
््शब्द साधिका कलाप्रेमी शब्द मनिषी ्््
              ््््निजविचार ्््
बहुत सुंदर बहुत खुब सिद्धांत सुविधाएं मांगे साक्ष्य सब कुछ उपलब्ध है ,,
,,पत्थर को तराशती तोड़ती पत्थर से निकलते झैनी और हथौड़ी से आकर प्रकार निर्राकार।। आकारहीन हवाओं में रहते,,
 मन से कलम दवात कागज पर लिखकर ,।।
चित्र को चित्रकार,और मूर्ति को मूर्तिकार
रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से रूबरू होकर नक्काशी वाले ,,
शब्दशिल्पी अपने विचार प्रकार,,मीनु,, अलग अलग गुणों से भरपूर होते हैं ।।
जो कला साहित्य विज्ञान कर्म मर्मज्ञ शब्द साधिका है ,,
सुर्य के भांति संसार में जगत में चमक रही है।। 
             ््् कवि शैलेंद्र आनंद ्््
24,,11,,2024,,

©Shailendra Anand

'अच्छे विचार' ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद

13 Love

#विचार #my

##my song lyrics

144 View

रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024 वार,,,, शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ््् ््भावचित्र ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024
वार,,,, शुक्रवार
समय  सुबह   दस  बजे 
्््निज विचार ्््
््भावचित्र ््निज विचार ््
्भावचित्र ्
्शीर्षक ्
््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा,
फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा््
         कहे तो जाने अंजाने में,,
आंखें यूंही बदनाम हो गई ््
प्यार करने वाले खूद ही खुद से,,
 सवाल जवाब बन गये।।1 ।।
जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,,
 मायने क्या समझेगे।।2 ।।
वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,,
बनाने वाले होते हैं ।।3 ।।
जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,,
ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता,
बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।।
वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,,
और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के 
छुपने का प्रहर।।5 ।।
 मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,,
 जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।।
शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,,
 मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।।
            ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद

©Shailendra Anand

सायरी मोटिवेशन ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद

11 Love

White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून प्राणशून्य देहाला "मरण" म्हणजे खुप मोठं गिफ्ट वाटत असेल..... ईश्वरी ©Eshwari

#मरण #Quotes  White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात
 या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून 
प्राणशून्य  देहाला "मरण" म्हणजे 
खुप  मोठं गिफ्ट वाटत असेल.....

            ईश्वरी

©Eshwari

#मरण एक आनंद

12 Love

#Videos

lyrics 💥

72 View

रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand

#भक्ति  रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

रचना दिनांक 24,, नवम्बर 2024, वार। रविवार,, समय सुबह दस बजे ्््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््छाया चित्र में दिखाया गया फूलों से महकते रहे कला संस्कृति साहित्य और कला धर्मी रचनाकार , शब्द शिल्पी कलाकृति मुर्तिकार चित्रकार की, तुलिका से सजाया गया विचार सच है ्््निज विचार ््््भावचित्र ्् कलाधर्मी््् ््शब्द साधिका कलाप्रेमी शब्द मनिषी ््् ््््निजविचार ््् बहुत सुंदर बहुत खुब सिद्धांत सुविधाएं मांगे साक्ष्य सब कुछ उपलब्ध है ,, ,,पत्थर को तराशती तोड़ती पत्थर से निकलते झैनी और हथौड़ी से आकर प्रकार निर्राकार।। आकारहीन हवाओं में रहते,, मन से कलम दवात कागज पर लिखकर ,।। चित्र को चित्रकार,और मूर्ति को मूर्तिकार रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से रूबरू होकर नक्काशी वाले ,, शब्दशिल्पी अपने विचार प्रकार,,मीनु,, अलग अलग गुणों से भरपूर होते हैं ।। जो कला साहित्य विज्ञान कर्म मर्मज्ञ शब्द साधिका है ,, सुर्य के भांति संसार में जगत में चमक रही है।। ््् कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,11,,2024,, ©Shailendra Anand

#विचार  रचना दिनांक 24,, नवम्बर 2024,
वार।  रविवार,,
समय सुबह दस बजे
्््भावचित्र ््
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
््छाया चित्र में दिखाया गया फूलों से महकते रहे
कला संस्कृति साहित्य और कला धर्मी रचनाकार ,
शब्द शिल्पी कलाकृति मुर्तिकार चित्रकार की, तुलिका से सजाया गया विचार सच है ्््निज विचार
््््भावचित्र ््
कलाधर्मी्््
््शब्द साधिका कलाप्रेमी शब्द मनिषी ्््
              ््््निजविचार ्््
बहुत सुंदर बहुत खुब सिद्धांत सुविधाएं मांगे साक्ष्य सब कुछ उपलब्ध है ,,
,,पत्थर को तराशती तोड़ती पत्थर से निकलते झैनी और हथौड़ी से आकर प्रकार निर्राकार।। आकारहीन हवाओं में रहते,,
 मन से कलम दवात कागज पर लिखकर ,।।
चित्र को चित्रकार,और मूर्ति को मूर्तिकार
रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से रूबरू होकर नक्काशी वाले ,,
शब्दशिल्पी अपने विचार प्रकार,,मीनु,, अलग अलग गुणों से भरपूर होते हैं ।।
जो कला साहित्य विज्ञान कर्म मर्मज्ञ शब्द साधिका है ,,
सुर्य के भांति संसार में जगत में चमक रही है।। 
             ््् कवि शैलेंद्र आनंद ्््
24,,11,,2024,,

©Shailendra Anand

'अच्छे विचार' ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद

13 Love

#विचार #my

##my song lyrics

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रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024 वार,,,, शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ््् ््भावचित्र ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024
वार,,,, शुक्रवार
समय  सुबह   दस  बजे 
्््निज विचार ्््
््भावचित्र ््निज विचार ््
्भावचित्र ्
्शीर्षक ्
््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा,
फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा््
         कहे तो जाने अंजाने में,,
आंखें यूंही बदनाम हो गई ््
प्यार करने वाले खूद ही खुद से,,
 सवाल जवाब बन गये।।1 ।।
जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,,
 मायने क्या समझेगे।।2 ।।
वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,,
बनाने वाले होते हैं ।।3 ।।
जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,,
ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता,
बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।।
वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,,
और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के 
छुपने का प्रहर।।5 ।।
 मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,,
 जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।।
शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,,
 मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।।
            ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद

©Shailendra Anand

सायरी मोटिवेशन ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद

11 Love

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