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किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः ©Ghumnam Gautam

#आँखें #शायरी #किताब #ghumnamgautam  किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः
बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः
पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम
किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः

©Ghumnam Gautam

दूसरों के हिसाब से चल रही होती तो मेरी किताब कोरी होती मनमर्जियां, बेबाकियाँ,उसकी चाहत अधूरी होती Su👁️

99 View

Book quotes किताबो से प्रेम है किताब सी ही शख्सियत है हर एक पन्ने पर एक नया किस्सा है हर एक पन्ना अपने आप मे जुदा है.... किसी ने विद्या रखी, किसी ने फूल किसी ने यादे बुनी, किसी ने उसूल सफेद रंग से शुरु सफर अरसे बाद कुछ पीला सा हो गया कितना भी पुराना होकर जब वो पन्ना है पलटाया आंखो मे आंसू होठो पर मुस्कान है लाया..... बस ...बदलते वक्त के साथ उसे भी बदलना ना आया... ©Yogita Harne

#मोटिवेशनल  Book quotes किताबो से प्रेम है
किताब सी ही शख्सियत है
हर एक पन्ने पर एक नया किस्सा है
हर एक पन्ना अपने आप मे जुदा है....
किसी ने विद्या रखी, किसी ने फूल 
किसी ने यादे बुनी, किसी ने उसूल 
सफेद रंग से शुरु सफर अरसे बाद कुछ पीला सा हो गया
कितना भी पुराना होकर जब वो पन्ना है  पलटाया
आंखो मे आंसू होठो पर मुस्कान है लाया.....
बस ...बदलते वक्त के साथ उसे भी बदलना ना आया...

©Yogita Harne

किताब..

12 Love

!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है दिन छोटे हो जाते हैं , पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए वादों का अब हिसाब किताब होता है .. .. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है , और जो नहीं हो पाये उनको कुछ बदलाव के साथ अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर। अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला पर उस की रेत बजरी समेट कर उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का यूँ तो जनवरी और दिसंबर में एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का। ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर, और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं। 31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...। ©Shivkumar barman

 !! दिसंबर आभार करने का महीना है !!

दिसंबर आभार करने का महीना है 
ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है 
जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है 

दिन छोटे हो जाते हैं ,
पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में 
जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए 
वादों का अब हिसाब किताब होता है ..

.. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है ,
और जो नहीं हो पाये 
उनको कुछ बदलाव के साथ 
अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! 

पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी
 सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर।

अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला 
पर उस की रेत बजरी समेट कर
 उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर
 एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का 

यूँ तो जनवरी और दिसंबर में
 एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का।

ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर,
 और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं।

31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह 
और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...।

©Shivkumar barman

!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के #तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग

20 Love

श्री चित्रगुप्ताय नमः ©AK Srivastava

#भक्ति  श्री चित्रगुप्ताय नमः

©AK Srivastava

जय श्री चित्रगुप्त जी महाराज 🙏 हम सब के कर्मों का हिसाब किताब रखने वाले आपकी जय हो🙏🙏🙏

12 Love

White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा तो मै झट से दौर पड़ी जी,मै एक किताब हू एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के अपने ही कमरे मे पड़े पुराने मेज पर छोड़ आई थी आज एक बड़े ही अजीब शक्स ने मुझे पढ़ते हुए गहरी साँसे ली और सरका दिया अरसे से जमे धूल पर समीक्षा वो अपने हृदय मे समेट चला गया मुझे आश्चर्यचकित करता है मेरा रहष्यमयी लिपी होना अब मुझे भी कुछ याद नही की आखिर ऐसी कौन सी नौबत आन पड़ी थी की मै आगे खुद को पढ़ नही पाई जबकि मुझे इंतेजार करना चाहिए था अंत को अंत तक आने का खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है ©चाँदनी

#रहष्यमयी  White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा 
तो मै झट से दौर पड़ी

जी,मै एक किताब हू

एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के 
अपने  ही कमरे मे पड़े पुराने
मेज पर छोड़ आई थी

आज एक बड़े ही अजीब शक्स
 ने मुझे पढ़ते हुए 

गहरी साँसे ली और सरका
दिया अरसे से जमे धूल 

पर समीक्षा वो अपने
हृदय मे समेट चला गया

मुझे आश्चर्यचकित करता है
मेरा रहष्यमयी लिपी होना

अब मुझे भी कुछ याद नही की 
आखिर ऐसी कौन सी नौबत
आन पड़ी थी की

मै आगे खुद को पढ़ नही पाई
जबकि 

मुझे इंतेजार करना चाहिए था
अंत को अंत तक आने का

खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है

©चाँदनी

#रहष्यमयी किताब

24 Love

किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः ©Ghumnam Gautam

#आँखें #शायरी #किताब #ghumnamgautam  किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः
बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः
पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम
किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः

©Ghumnam Gautam

दूसरों के हिसाब से चल रही होती तो मेरी किताब कोरी होती मनमर्जियां, बेबाकियाँ,उसकी चाहत अधूरी होती Su👁️

99 View

Book quotes किताबो से प्रेम है किताब सी ही शख्सियत है हर एक पन्ने पर एक नया किस्सा है हर एक पन्ना अपने आप मे जुदा है.... किसी ने विद्या रखी, किसी ने फूल किसी ने यादे बुनी, किसी ने उसूल सफेद रंग से शुरु सफर अरसे बाद कुछ पीला सा हो गया कितना भी पुराना होकर जब वो पन्ना है पलटाया आंखो मे आंसू होठो पर मुस्कान है लाया..... बस ...बदलते वक्त के साथ उसे भी बदलना ना आया... ©Yogita Harne

#मोटिवेशनल  Book quotes किताबो से प्रेम है
किताब सी ही शख्सियत है
हर एक पन्ने पर एक नया किस्सा है
हर एक पन्ना अपने आप मे जुदा है....
किसी ने विद्या रखी, किसी ने फूल 
किसी ने यादे बुनी, किसी ने उसूल 
सफेद रंग से शुरु सफर अरसे बाद कुछ पीला सा हो गया
कितना भी पुराना होकर जब वो पन्ना है  पलटाया
आंखो मे आंसू होठो पर मुस्कान है लाया.....
बस ...बदलते वक्त के साथ उसे भी बदलना ना आया...

©Yogita Harne

किताब..

12 Love

!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है दिन छोटे हो जाते हैं , पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए वादों का अब हिसाब किताब होता है .. .. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है , और जो नहीं हो पाये उनको कुछ बदलाव के साथ अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर। अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला पर उस की रेत बजरी समेट कर उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का यूँ तो जनवरी और दिसंबर में एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का। ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर, और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं। 31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...। ©Shivkumar barman

 !! दिसंबर आभार करने का महीना है !!

दिसंबर आभार करने का महीना है 
ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है 
जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है 

दिन छोटे हो जाते हैं ,
पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में 
जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए 
वादों का अब हिसाब किताब होता है ..

.. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है ,
और जो नहीं हो पाये 
उनको कुछ बदलाव के साथ 
अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! 

पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी
 सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर।

अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला 
पर उस की रेत बजरी समेट कर
 उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर
 एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का 

यूँ तो जनवरी और दिसंबर में
 एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का।

ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर,
 और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं।

31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह 
और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...।

©Shivkumar barman

!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के #तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग

20 Love

श्री चित्रगुप्ताय नमः ©AK Srivastava

#भक्ति  श्री चित्रगुप्ताय नमः

©AK Srivastava

जय श्री चित्रगुप्त जी महाराज 🙏 हम सब के कर्मों का हिसाब किताब रखने वाले आपकी जय हो🙏🙏🙏

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White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा तो मै झट से दौर पड़ी जी,मै एक किताब हू एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के अपने ही कमरे मे पड़े पुराने मेज पर छोड़ आई थी आज एक बड़े ही अजीब शक्स ने मुझे पढ़ते हुए गहरी साँसे ली और सरका दिया अरसे से जमे धूल पर समीक्षा वो अपने हृदय मे समेट चला गया मुझे आश्चर्यचकित करता है मेरा रहष्यमयी लिपी होना अब मुझे भी कुछ याद नही की आखिर ऐसी कौन सी नौबत आन पड़ी थी की मै आगे खुद को पढ़ नही पाई जबकि मुझे इंतेजार करना चाहिए था अंत को अंत तक आने का खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है ©चाँदनी

#रहष्यमयी  White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा 
तो मै झट से दौर पड़ी

जी,मै एक किताब हू

एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के 
अपने  ही कमरे मे पड़े पुराने
मेज पर छोड़ आई थी

आज एक बड़े ही अजीब शक्स
 ने मुझे पढ़ते हुए 

गहरी साँसे ली और सरका
दिया अरसे से जमे धूल 

पर समीक्षा वो अपने
हृदय मे समेट चला गया

मुझे आश्चर्यचकित करता है
मेरा रहष्यमयी लिपी होना

अब मुझे भी कुछ याद नही की 
आखिर ऐसी कौन सी नौबत
आन पड़ी थी की

मै आगे खुद को पढ़ नही पाई
जबकि 

मुझे इंतेजार करना चाहिए था
अंत को अंत तक आने का

खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है

©चाँदनी

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