green-leaves उस हर सफर मे , जब मै अपनी हमसफर खूद होती हूं
अपने आप से अक्सर गहरी होती है गुफ़्तगू
सबका सुनने मै ,अपना ही सुनना रह जाता है
कितना कुछ कहना था , मुझको मुझसे ही... तब समझ आता है।।
मेरे साथ ही मेरा अक्स, अक्सर रहता है...
साथ और पास रहकर भी मुझसे ही मिलने का एक लंबा सफर तय करता है..
बस वो यह एकांत ढूंढता है
©Yogita Harne
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