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White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे चुप हो गया जंगल का बादशाह जब से तब गीदड़ों के बोल भी और आने लगे पुरखे जिनके सोते आ रहे हैं जमीं पे उनके नवासों के भी अब दौर आने लगे छुप गया चांद जब बदली की ओंट में आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे मुनासिब ना समझा मिलना मै जिनसे हुज़ूर उनके चेहरे अब ग़ौर आने लगे ©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#शायरी #Thinking #gazal  White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे
आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

चुप  हो  गया जंगल का बादशाह जब से
तब  गीदड़ों  के  बोल भी और आने लगे

पुरखे  जिनके  सोते  आ  रहे  हैं  जमीं पे
उनके  नवासों  के भी अब दौर आने लगे

छुप  गया  चांद  जब  बदली की ओंट में
आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे

मुनासिब  ना  समझा  मिलना  मै जिनसे
हुज़ूर  उनके  चेहरे  अब  ग़ौर  आने लगे

©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#Thinking #gazal

10 Love

White subscribe gys youtube channel Ruchi Sharma ©Ruchi Sharma

#विचार #Youtube  White subscribe gys youtube channel 
Ruchi Sharma

©Ruchi Sharma

#Youtube

17 Love

कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..! सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..! मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..! यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..! उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..! मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #Thinking #gazal  कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं 
क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..!

सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर 
आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..!

मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है 
बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..!

यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता 
उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..!

उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा 
लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..!

मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही 
बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!!

©Shreyansh Gaurav

#gazal #Thinking

14 Love

मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..! मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.! मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.! मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #बोसा #gazal  मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें 
तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..!

मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा 
दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.!

मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी 
गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.!

मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो 
सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.!

©Shreyansh Gaurav

याद नहीं हूँ मुझे कब का पूरी नींद सोया हूँ रात भर जागता हूँ,न जाने क्यूँ कहाँ खोया हूँ.! उससे बिछड़ कर लाइलाज़ हो गया हूँ मैं अब हकीम बेअसर है, मैं आज भी नहीं सोया हूँ.! क़िससे कहूँ,क्या कहूँ,क्या हुआ है,पता नहीं चाहता हूँ इक़ बार रूबरू,उसकी ख़ातिर रोया हूँ.! बहुत ढूढ़ता हूँ ख़ुद में कमियाँ, क्या हुआ है कोई बताये ठीक करलूँ,मैं उसी का गोया हूँ.! बहुत बेचैन हूँ,बेसब्र हूँ आजकल मैं क्या करूँ इक़ अरसा गुज़र गया,याद नहीं कब सोया हूँ.! अब थक गया हूँ,इंतज़ार की इंतेहा हो गयीं उसे मेरी कर या मौत देंदें मुझे,लगे की सोया हूँ.!! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #Dream #gazal  याद नहीं हूँ मुझे कब का पूरी नींद सोया हूँ 
रात भर जागता हूँ,न जाने क्यूँ कहाँ खोया हूँ.!

उससे बिछड़ कर लाइलाज़ हो गया हूँ मैं अब 
हकीम बेअसर है, मैं आज भी नहीं सोया हूँ.!

क़िससे कहूँ,क्या कहूँ,क्या हुआ है,पता नहीं 
चाहता हूँ इक़ बार रूबरू,उसकी ख़ातिर रोया हूँ.!

बहुत ढूढ़ता हूँ ख़ुद में कमियाँ, क्या हुआ है 
कोई बताये ठीक करलूँ,मैं उसी का गोया हूँ.!

बहुत बेचैन हूँ,बेसब्र हूँ आजकल मैं क्या करूँ 
इक़ अरसा गुज़र गया,याद नहीं कब सोया हूँ.!

अब थक गया हूँ,इंतज़ार की इंतेहा हो गयीं 
उसे मेरी कर या मौत देंदें मुझे,लगे की सोया हूँ.!!

©Shreyansh Gaurav

#gazal #Dream

12 Love

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

13 Love

White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे चुप हो गया जंगल का बादशाह जब से तब गीदड़ों के बोल भी और आने लगे पुरखे जिनके सोते आ रहे हैं जमीं पे उनके नवासों के भी अब दौर आने लगे छुप गया चांद जब बदली की ओंट में आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे मुनासिब ना समझा मिलना मै जिनसे हुज़ूर उनके चेहरे अब ग़ौर आने लगे ©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#शायरी #Thinking #gazal  White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे
आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

चुप  हो  गया जंगल का बादशाह जब से
तब  गीदड़ों  के  बोल भी और आने लगे

पुरखे  जिनके  सोते  आ  रहे  हैं  जमीं पे
उनके  नवासों  के भी अब दौर आने लगे

छुप  गया  चांद  जब  बदली की ओंट में
आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे

मुनासिब  ना  समझा  मिलना  मै जिनसे
हुज़ूर  उनके  चेहरे  अब  ग़ौर  आने लगे

©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#Thinking #gazal

10 Love

White subscribe gys youtube channel Ruchi Sharma ©Ruchi Sharma

#विचार #Youtube  White subscribe gys youtube channel 
Ruchi Sharma

©Ruchi Sharma

#Youtube

17 Love

कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..! सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..! मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..! यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..! उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..! मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #Thinking #gazal  कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं 
क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..!

सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर 
आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..!

मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है 
बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..!

यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता 
उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..!

उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा 
लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..!

मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही 
बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!!

©Shreyansh Gaurav

#gazal #Thinking

14 Love

मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..! मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.! मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.! मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #बोसा #gazal  मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें 
तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..!

मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा 
दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.!

मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी 
गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.!

मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो 
सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.!

©Shreyansh Gaurav

याद नहीं हूँ मुझे कब का पूरी नींद सोया हूँ रात भर जागता हूँ,न जाने क्यूँ कहाँ खोया हूँ.! उससे बिछड़ कर लाइलाज़ हो गया हूँ मैं अब हकीम बेअसर है, मैं आज भी नहीं सोया हूँ.! क़िससे कहूँ,क्या कहूँ,क्या हुआ है,पता नहीं चाहता हूँ इक़ बार रूबरू,उसकी ख़ातिर रोया हूँ.! बहुत ढूढ़ता हूँ ख़ुद में कमियाँ, क्या हुआ है कोई बताये ठीक करलूँ,मैं उसी का गोया हूँ.! बहुत बेचैन हूँ,बेसब्र हूँ आजकल मैं क्या करूँ इक़ अरसा गुज़र गया,याद नहीं कब सोया हूँ.! अब थक गया हूँ,इंतज़ार की इंतेहा हो गयीं उसे मेरी कर या मौत देंदें मुझे,लगे की सोया हूँ.!! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #Dream #gazal  याद नहीं हूँ मुझे कब का पूरी नींद सोया हूँ 
रात भर जागता हूँ,न जाने क्यूँ कहाँ खोया हूँ.!

उससे बिछड़ कर लाइलाज़ हो गया हूँ मैं अब 
हकीम बेअसर है, मैं आज भी नहीं सोया हूँ.!

क़िससे कहूँ,क्या कहूँ,क्या हुआ है,पता नहीं 
चाहता हूँ इक़ बार रूबरू,उसकी ख़ातिर रोया हूँ.!

बहुत ढूढ़ता हूँ ख़ुद में कमियाँ, क्या हुआ है 
कोई बताये ठीक करलूँ,मैं उसी का गोया हूँ.!

बहुत बेचैन हूँ,बेसब्र हूँ आजकल मैं क्या करूँ 
इक़ अरसा गुज़र गया,याद नहीं कब सोया हूँ.!

अब थक गया हूँ,इंतज़ार की इंतेहा हो गयीं 
उसे मेरी कर या मौत देंदें मुझे,लगे की सोया हूँ.!!

©Shreyansh Gaurav

#gazal #Dream

12 Love

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

13 Love

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