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New उपेन्द्रनाथ अश्क Status, Photo, Video

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Unsplash एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी ज़माने भर से क्या मतलब.... मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी । एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,, एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों से धार बन कर बह जाऊंगी,, एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी। एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी। ©Ruhi

#SAD  Unsplash   एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी 
तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी 
ज़माने भर से क्या मतलब....
मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी ।
एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,,
एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों 
से धार बन कर बह जाऊंगी,,
एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी।
एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी 
और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी।

©Ruhi

मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं तुमने मजबूरियां देखी है और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।

29 Love

तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा दर्द, तो और किससे वफा करूं। जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में, उन्हें कैसे रिहा करूं। जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र, अब उनका क्या सिलसिला करूं। तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी, तो शिकायत किससे भला करूं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं,
तो किसे इत्येलाह करूं।
तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में,
खुद से भी गिला करूं।

तुम्हीं न समझो मेरा दर्द,
तो और किससे वफा करूं।
जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में,
उन्हें कैसे रिहा करूं।

जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र,
अब उनका क्या सिलसिला करूं।
तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी,
तो शिकायत किससे भला करूं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द

12 Love

White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते। चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ, जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते। गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह, जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते। राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे, ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते। मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना, मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते।
चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ,
जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते।
गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह,
जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते।
राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे,
ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते।
मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना,
 मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि

17 Love

#कवितावाचिका #शायरी #ग़ज़ल #wellwisher_taru #indianwriters #अश्क

चिलमन=पर्दे ख़लिश=शिकायत राफ़्ता= संबंधित दरमियां ए साहिल= मझधा, मुकद्दर(भाग्य) स्वलिखित गज़ल शीर्षक समंदर आंखों का विधा गज़ल भाव वास्त

108 View

White तुमने बरसात को बरसते हुए देखा होगा, कई लोगों को अपनों के लिए तड़पते हुए देखा होगा। वो झूठे नहीं होते सुर्ख, तुमने भी कभी अपनी ही भरी हुई पलकों से अश्कों को गिरते देखा होगा!! ©Surkh ( سرخ )

#शायरी #बरसात #अश्क #rainy_season  White  


 तुमने बरसात को बरसते हुए देखा होगा,
कई लोगों को अपनों के लिए तड़पते हुए देखा होगा।
वो झूठे नहीं होते सुर्ख,
तुमने भी कभी अपनी ही भरी हुई पलकों से अश्कों को गिरते देखा होगा!!

©Surkh ( سرخ )

Unsplash एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी ज़माने भर से क्या मतलब.... मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी । एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,, एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों से धार बन कर बह जाऊंगी,, एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी। एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी। ©Ruhi

#SAD  Unsplash   एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी 
तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी 
ज़माने भर से क्या मतलब....
मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी ।
एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,,
एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों 
से धार बन कर बह जाऊंगी,,
एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी।
एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी 
और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी।

©Ruhi

मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं तुमने मजबूरियां देखी है और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।

29 Love

तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा दर्द, तो और किससे वफा करूं। जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में, उन्हें कैसे रिहा करूं। जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र, अब उनका क्या सिलसिला करूं। तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी, तो शिकायत किससे भला करूं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं,
तो किसे इत्येलाह करूं।
तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में,
खुद से भी गिला करूं।

तुम्हीं न समझो मेरा दर्द,
तो और किससे वफा करूं।
जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में,
उन्हें कैसे रिहा करूं।

जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र,
अब उनका क्या सिलसिला करूं।
तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी,
तो शिकायत किससे भला करूं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द

12 Love

White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते। चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ, जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते। गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह, जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते। राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे, ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते। मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना, मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते।
चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ,
जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते।
गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह,
जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते।
राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे,
ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते।
मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना,
 मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि

17 Love

#कवितावाचिका #शायरी #ग़ज़ल #wellwisher_taru #indianwriters #अश्क

चिलमन=पर्दे ख़लिश=शिकायत राफ़्ता= संबंधित दरमियां ए साहिल= मझधा, मुकद्दर(भाग्य) स्वलिखित गज़ल शीर्षक समंदर आंखों का विधा गज़ल भाव वास्त

108 View

White तुमने बरसात को बरसते हुए देखा होगा, कई लोगों को अपनों के लिए तड़पते हुए देखा होगा। वो झूठे नहीं होते सुर्ख, तुमने भी कभी अपनी ही भरी हुई पलकों से अश्कों को गिरते देखा होगा!! ©Surkh ( سرخ )

#शायरी #बरसात #अश्क #rainy_season  White  


 तुमने बरसात को बरसते हुए देखा होगा,
कई लोगों को अपनों के लिए तड़पते हुए देखा होगा।
वो झूठे नहीं होते सुर्ख,
तुमने भी कभी अपनी ही भरी हुई पलकों से अश्कों को गिरते देखा होगा!!

©Surkh ( سرخ )
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