White मैं
जब मैं 'मैं'लिखूं तो समझना
बात हम सबकी हैं
उस मैं में छिपी हैं अनगिनत किस्से
जिसे मैं समझता हूँ अपना
उस मैं की वेदना को धारण कर
स्वयं मैं अनुभूति पाता हूँ
तब जाकर किसी के किस्से-कहानियों को शब्दों में पिरो पाता हूँ
हर बार 'मैं' में मैं स्वयं नही
प्रीत हो या वेदना
मिलन हो बिछड़न
मनुष्यता के नाते हम सब मे होती है अनुभूतियां
अनुभूतियां जो जोड़ती हैं एक -दूसरे को
जो मैं में,हम में, हमसब में हैं
कोई एक मैं में अनेको का मैं हैं
पर हर मैं स्वयं को शब्दों में नही पिरो पाता है
फिर कोई मैं खड़ा हो शोषण ,उत्पीड़न,अत्याचार, नारी उत्पीड़न, बलात्कार, गरीबी-कुपोषण, बेरोजगारी,महंगाई और अन्याय को लिख
हम सबकी मैं लिख जाता हैं।
©Arun kr.
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