किरदार
किरदार कोई बाजार में बिकने वाली चीज नहीं,
जो दाम चुका कर झोली में भर लाओगे।
ये तो तप का फल है, मेहनत की स्याही,
संघर्ष की गीली मिट्टी से गढ़ पाओगे।
ये राज़ है आत्मा की गहराई का,
जहां झूठ और दिखावा टिक नहीं पाते।
सच के आईने में चेहरा निखरता है,
और किरदार के रंग खुद-ब-खुद चमक जाते।
न कोई मोल है इसका, न कोई तिजारत,
ये तो मन का उजाला और आत्मा की विरासत।
झूठे दिखावे की भीड़ में भी जो अडिग रहे,
वही किरदार है, जो सच्चाई से आगे बढ़े।
तो मत ढूंढो इसे बाजार की गलियों में,
खुद के भीतर के अंधेरों को टटोलो।
किरदार वही है, जो हर कठिनाई में भी,
तुम्हें इंसान बनाकर रखे, तुम्हें न कभी तोलो।
©Writer Mamta Ambedkar
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