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New hindi poetry on female foeticide Status, Photo, Video

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Unsplash 🌹💔💔🌹 एक आरजू दिल में दबी रह गई एक बात उसे अनकही रह गई प्रेम उसके दिल से हवा हो गया उसके रुखसार पे बेरुखी रह गई उसे नापसन्द था मेरा दिल लगाना या मेरे प्यार में कुछ कमी रह गई गुलाब रक्खे किताबों में मुरझा गये जेब में इक अंगूठी रखी रह गई मुझे छोड़कर के बहुत खुश है वो मेरी यूं फकत जिंदगी रह गई ✍️💔💔✍️ ©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#lovelife  Unsplash  🌹💔💔🌹
एक आरजू दिल में दबी रह गई 
एक बात उसे अनकही रह गई
 
प्रेम उसके दिल से हवा हो गया 
उसके रुखसार पे बेरुखी रह गई 

उसे नापसन्द था मेरा दिल लगाना
या मेरे प्यार में कुछ कमी रह गई

गुलाब रक्खे किताबों में मुरझा गये
जेब में इक  अंगूठी  रखी रह गई 

मुझे छोड़कर के बहुत खुश है वो 
मेरी यूं  फकत जिंदगी  रह  गई 
✍️💔💔✍️

©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#lovelife hindi poetry hindi poetry on life poetry on love poetry quotes poetry poetry in hindi

14 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

#newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry

13 Love

विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak

 विषय-वीर/ आल्हा छंद
विधा-१६-१५  मात्रा प्रति चरण,चार चरण।
दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है।

छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास।

नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।।

ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान।
अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।।

काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज।

स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है  साज।।

©Bharat Bhushan pathak

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17 Love

#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak

#विधा  #विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।

लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१

खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।

पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२

छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३

मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४

©Bharat Bhushan pathak

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10 Love

Unsplash 🌹💔💔🌹 एक आरजू दिल में दबी रह गई एक बात उसे अनकही रह गई प्रेम उसके दिल से हवा हो गया उसके रुखसार पे बेरुखी रह गई उसे नापसन्द था मेरा दिल लगाना या मेरे प्यार में कुछ कमी रह गई गुलाब रक्खे किताबों में मुरझा गये जेब में इक अंगूठी रखी रह गई मुझे छोड़कर के बहुत खुश है वो मेरी यूं फकत जिंदगी रह गई ✍️💔💔✍️ ©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

#lovelife  Unsplash  🌹💔💔🌹
एक आरजू दिल में दबी रह गई 
एक बात उसे अनकही रह गई
 
प्रेम उसके दिल से हवा हो गया 
उसके रुखसार पे बेरुखी रह गई 

उसे नापसन्द था मेरा दिल लगाना
या मेरे प्यार में कुछ कमी रह गई

गुलाब रक्खे किताबों में मुरझा गये
जेब में इक  अंगूठी  रखी रह गई 

मुझे छोड़कर के बहुत खुश है वो 
मेरी यूं  फकत जिंदगी  रह  गई 
✍️💔💔✍️

©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar

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14 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak

 विषय-वीर/ आल्हा छंद
विधा-१६-१५  मात्रा प्रति चरण,चार चरण।
दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है।

छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास।

नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।।

ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान।
अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।।

काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज।

स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है  साज।।

©Bharat Bhushan pathak

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17 Love

#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak

#विधा  #विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।

लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१

खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।

पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२

छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३

मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४

©Bharat Bhushan pathak

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10 Love

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