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#Quotes  Unsplash मोहब्बत पहली दूसरी तिसरी नही.....! 
मोहब्बत तो बो है..!!
मोहब्बत के बाद कभी हो ही नही.....

©Rameshkumar Mehra Mehra

# मोहब्बत पहली दूसरी तीसरी नही,मोहब्बत तो बो है,जो मोहब्बत के बाद हो ही नही...

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पल्लव की डायरी वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते मौसम रंग बदल रहे है बायु प्रदूषण में केमिकल्स और वाहनों के अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#WorldEnvironmentDay #कविता  पल्लव की डायरी
वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते
मौसम रंग बदल रहे है
बायु प्रदूषण में  केमिकल्स और वाहनों के
अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है
कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर
यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है
जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है
केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है
सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया
जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है
चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते
असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
                                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है

19 Love

हम आह भी भरते है................. तो हो जाते है बदनाम....! बो कत्ल भी करती है..... !! तो चर्च भी नही होते.... ©Rameshkumar Mehra Mehra

 हम आह भी भरते है.................
तो हो जाते है बदनाम....!
बो कत्ल भी करती है..... !!
तो चर्च भी नही होते....

©Rameshkumar Mehra Mehra

# हम आह भी भरते है,तो हो जाते है बदनाम,बो कत्ल भी करती है,तो चर्च भी नही होते...

21 Love

White बेशक मै.................... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही....! जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता..!! लेकिन हाँ......!!! मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरूर था..!!! जिसकी छाँव मे तुम आपने जीबन की...!!!! हर तपिश से मुक्त हो सकती थी....!!!!! अफसोस,तुम समझ ना सकी....💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra

#Quotes  White बेशक मै....................
तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही....!
जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता..!!
लेकिन हाँ......!!!
मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरूर था..!!!
जिसकी छाँव मे तुम आपने जीबन की...!!!!
हर तपिश से मुक्त हो सकती थी....!!!!!
अफसोस,तुम समझ ना सकी....💓

©Rameshkumar Mehra Mehra

# बेशक मै..... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही,जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता,लेकिन हाँ,मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरुर था,जिसकी छाॅब मे

21 Love

#कविता #CandleLight  🇨🇮  जय हिन्द  🇨🇮

*सभी परिवारजनों को राम राम जी*

राष्ट्रीय हित का गला  घोट कर,
                छेद ना करना थाली में ।
मिट्टी वाले दिए जलाना,
               अबकी बार दिवाली में ।।
देश के धन को देश में रखना, 
                 नहीं बहाना नाली में  ।
मिट्टी बाले दिए जलाना,
               अबकी बार दिवाली में ।।
बने जो अपनी मिट्टी से बो,
                  दीये बिके बाजारो में  ।
छुपी है वैज्ञानिकता अपनी,
               सभी तीज त्यौहारों में  ।।
चाइनीज झालर से आकर्षित,
               सब कीट पतंगे आते है ।
जबकि दिए में जलकर सब,
          बरसाती कीड़े मार जाते है ।।
कार्तिक दीप दान से बदले,
                मित्र दोष खुशहाली में ।
मिट्टी बाले दिए जलाना,
               अबकी बार दिवाली में ।

©IG @kavi_neetesh

#CandleLight कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी देशभक्ति कविता देशभक्ति कविताएँ 🇨🇮 जय हिन्द 🇨🇮 *सभी परिव

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#Quotes  Unsplash मोहब्बत पहली दूसरी तिसरी नही.....! 
मोहब्बत तो बो है..!!
मोहब्बत के बाद कभी हो ही नही.....

©Rameshkumar Mehra Mehra

# मोहब्बत पहली दूसरी तीसरी नही,मोहब्बत तो बो है,जो मोहब्बत के बाद हो ही नही...

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पल्लव की डायरी वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते मौसम रंग बदल रहे है बायु प्रदूषण में केमिकल्स और वाहनों के अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#WorldEnvironmentDay #कविता  पल्लव की डायरी
वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते
मौसम रंग बदल रहे है
बायु प्रदूषण में  केमिकल्स और वाहनों के
अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है
कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर
यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है
जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है
केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है
सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया
जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है
चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते
असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
                                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है

19 Love

हम आह भी भरते है................. तो हो जाते है बदनाम....! बो कत्ल भी करती है..... !! तो चर्च भी नही होते.... ©Rameshkumar Mehra Mehra

 हम आह भी भरते है.................
तो हो जाते है बदनाम....!
बो कत्ल भी करती है..... !!
तो चर्च भी नही होते....

©Rameshkumar Mehra Mehra

# हम आह भी भरते है,तो हो जाते है बदनाम,बो कत्ल भी करती है,तो चर्च भी नही होते...

21 Love

White बेशक मै.................... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही....! जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता..!! लेकिन हाँ......!!! मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरूर था..!!! जिसकी छाँव मे तुम आपने जीबन की...!!!! हर तपिश से मुक्त हो सकती थी....!!!!! अफसोस,तुम समझ ना सकी....💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra

#Quotes  White बेशक मै....................
तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही....!
जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता..!!
लेकिन हाँ......!!!
मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरूर था..!!!
जिसकी छाँव मे तुम आपने जीबन की...!!!!
हर तपिश से मुक्त हो सकती थी....!!!!!
अफसोस,तुम समझ ना सकी....💓

©Rameshkumar Mehra Mehra

# बेशक मै..... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही,जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता,लेकिन हाँ,मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरुर था,जिसकी छाॅब मे

21 Love

#कविता #CandleLight  🇨🇮  जय हिन्द  🇨🇮

*सभी परिवारजनों को राम राम जी*

राष्ट्रीय हित का गला  घोट कर,
                छेद ना करना थाली में ।
मिट्टी वाले दिए जलाना,
               अबकी बार दिवाली में ।।
देश के धन को देश में रखना, 
                 नहीं बहाना नाली में  ।
मिट्टी बाले दिए जलाना,
               अबकी बार दिवाली में ।।
बने जो अपनी मिट्टी से बो,
                  दीये बिके बाजारो में  ।
छुपी है वैज्ञानिकता अपनी,
               सभी तीज त्यौहारों में  ।।
चाइनीज झालर से आकर्षित,
               सब कीट पतंगे आते है ।
जबकि दिए में जलकर सब,
          बरसाती कीड़े मार जाते है ।।
कार्तिक दीप दान से बदले,
                मित्र दोष खुशहाली में ।
मिट्टी बाले दिए जलाना,
               अबकी बार दिवाली में ।

©IG @kavi_neetesh

#CandleLight कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी देशभक्ति कविता देशभक्ति कविताएँ 🇨🇮 जय हिन्द 🇨🇮 *सभी परिव

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