हवा के झोंके की तासीर दोतरफा है बरखुरदार,
शामिल है यें चराग बुझाने से ज़ियादा जलाने के लिये..!
थकना नहीं लिखा है इंसा के हिस्से में कहीं भी,
सफ़र ऐसा है ज़िन्दगी का हमेशा से थमा तो थम ही गया..!
सभी के हिस्से में अपना जहाँ, अपना घर नहीं
भटकते देखा है दर ब दर,अपना सपना अपना बनाने के लिये.!
ख़्वाव ख़्वाहिश सभी की है ज़िन्दगी में खुशियों की
अपनों के बीच दौलत पहुंच रहीं है,खुशियों को मनाने के लिये.!!
©Shreyansh Gaurav
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